लिख रही हूँ नही ,
ये कलावती मन्नू बना है
उसकी रम्भा से रही है, वो रस्ते में है
कल लिखती
आज सिंडी ने मेरी जान खा लिया , मोबाइल के मारे
ये कलावती मन्नू बना है
उसकी रम्भा से रही है, वो रस्ते में है
कल लिखती
आज सिंडी ने मेरी जान खा लिया , मोबाइल के मारे
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