Thursday 27 March 2014

तुम साथ नही हो 
फिर भी तुम साथ साथ 
महसूस होती हो 
यंही है 
तुम्हारे साथ होने का 
अहसास , अपने आसपास 
जिसे अपने से विलग करना 
सम्भव नही 
जीवन में तुम 
हमेशा से मौजूद हो 
क्योंकि, तू हो 
मेरा जीवट 
जीवन-धन 
जैसे मेरे मन ने 
तुमे संभल रखा है 
ये जीवन इसी तरह से चलता है 
कि जिसकी चाहत होती है 
वो 
वो , कब किसे यंहा मिलता है 
ये अहसास मन में हमेशा से पलटा है 
कि, जो साथ नही 
फिरभी वो , साथ साथ 
चलता है 
चाहे कितनी ही दूर हो 
इसे हितो ,
कहते है कि तुमसे दिल का 
दिल का रिस्ता है 
कि, तुम हमेशा 
मन में घर में 
आँगन में 
सभी जगह साथ हो 
लहकती हुयी 
बोगनवालिया कि बेल कि तरह 

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