कल ख्यालों में तुम मिली
पहने हुए साडी नीली
कन्धों पर पल्लू डाले
बहुत ही प्यारी मुस्कराहट सिक्त
तेरा जज्बाती चेहरा
और अपने पुष्प-पल्लव हाथों से
गंगाजी के धारे में
दीप दान करती हुई
झुकी हुई नदी की लहर पर
बहुत सुंदर अक्ष तेरा
उतरा रहा था, दिए की रौशनी में
गंगा जल में झिलमिला रहा था
तू मासूमियत की मूरत लगी थी
जब भी ख्यालों में मिली थी
पहने हुए साडी नीली
कन्धों पर पल्लू डाले
बहुत ही प्यारी मुस्कराहट सिक्त
तेरा जज्बाती चेहरा
और अपने पुष्प-पल्लव हाथों से
गंगाजी के धारे में
दीप दान करती हुई
झुकी हुई नदी की लहर पर
बहुत सुंदर अक्ष तेरा
उतरा रहा था, दिए की रौशनी में
गंगा जल में झिलमिला रहा था
तू मासूमियत की मूरत लगी थी
जब भी ख्यालों में मिली थी
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