Monday 7 April 2014

ये देखना अच्छा लगता है कि 
बनारस कि बयार 
४००० रीडर्स तक पहुंची 
ये मेरी मनगड़ंत बातें थी 
किस्सागोई थी या पाठकों का प्यार 
कि, मेरी अधकचरी सी कविताओं को 
इतना अच्छा प्रतिसाद मिला 
इसकेलिए 
बनारस कि बयार का 
आभार 
और पाठकों के प्यार का सत्कार 
आजसे इस ब्लॉग में मई अपने लेखकीय 
अनुभवों को जोडूंगा इसलिए कि जो, लिखते है 
या पढ़ते है 
मेरा उनसे एकसार होना स्वाभाविक है 
पहले, टुकड़ों में लिखती रही कई बार तो, दो शब्द ही लिखे 
ये सच है कि जब आप लिखते है 
तो, आपको, ये चाहत होती है , कि आपकी  रचना प्रकाशित हैकैसे हो 
यंही नही ये हमेशा से 
बहुत अच्छा अनुभव नही होता जो, लेखक बहुत अच्छा लिखते है 
वो, भी किस रूप में सामने आयेंगे 
ये नही समझता 
कई बार कुछ लेखक 
लड़कियों से बदतमीजी ही नही करते 
कुछ तो, लेखिकाओं का शोषण भी करते है लेखिका हमेशा भावुक होती है 
वो, समझती है कि जैसा लिखा जा रहा ,
वो, शख्श वैसा ही होगा 
किन्तु, आपकी गलती सुधरने कि आध में वो 
कितनी गलती करता है 
किसतरह का exploitation वो करता है 
ये कई बार लेखिका से कोई नही पूछता 
ये सभी क्षेत्र में होता है 
लेखन का क्षेत्र भी अछूता नही 
इसलिए लड़कियों ही नही 
किसी भी नारी से यंही 
इल्तिजा है कि वो, एकाध गलती होने पर 
अपने को मुजरिम नही समझे 
क्योंकि गलती तो सुधरी जा सकती है किंतुं,
जो मुजरिम साहित्य में गलती सुधर के नामपर 
लड़कियों व् स्त्री जाती पर चढ़ बैठते है 
उनके, कुकर्म कभी नही सुधर सकते 
लेखिकाएं, बेशक गलती हो, जाये तो भी लिखे पर, किसी को 
अपना शोषण न करने दे लड़की इज्जत , किसी भी गलती से ऊपर है 
आअज इतना हइ.......... आपको, शुभकामना 
अष्टमी कि , ये स्त्री-शक्ति का दिन है 

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