वक़्त तेजी से बिता है, मेरे लिए,
कभी ये धीमे बेआवाज कदमों से भी गुजरता है मई ख़ामोशी में भी कुछ रचती हूँ
हमेशा चपल। …ये बिल्ली जैसी फुर्ती
मुझे लिखने का रोग है , लोग इसे चस्का कह सकते है
बहुत भरी होता है , बहुत बोझिल शौक है
आप लिखते लिखते अक्सर अकेले हो जाते है
घर बहार से कट जाते है
मई यदि अपनी १० वि किताब के पहले नही जनि जाती हूँ तो, इसका कारण है मेरा
कंही भी अपनी गोटी नही बिठाना, एकांतवास में सृजन तो होता है
किन्तु आप जाने जाए , आपने क्या लिखा ये सामने आना चाहिए
इश्लीए प्लीस यदि आप लिखते है तो छिपैये छिपाईये मत , सामने लाइए
किंतु, कैसे बड़े पापड़ बेलने होते है
पत्रिकाओं के चक्कर में उम्र निकल जाती है
आप किसी पत्रिका में भेजकर प्रतीक्षा करते है किन्तु उसका सारतत्व मारकर कोई अपने नाम छाप ले जाता है
इश्लीए भले ही छोटा हो, यदि पहचान का है, तो छोटे अख़बार से जुड़े , पैसे भी मांगे, यदि ऐसे ही छाप रहे है, तो प्रति तो दे ही
यदि आपको लिखना पढ़ना पसंद है तो शिक्षा के क्षेत्र से जुड़िये
आपके पीछे ठोस आर्थिक आधार जरुरी होता है, चाहे वो, घर से हो
चाहे आपने काम किया हो
कुछ न कुछ करते रहे
हो सके तो हमउम्र व् समान पसंद वालों से मिलकर कोई सभा गोष्ठी का आयोजन किसी खास अवसर पर करे
सभीसे मेलजोल , और अपने कला का प्रदर्शन एक अच्छे माहौल को जन्म देगा
बच्चे,, युवा व् बुजुर्गों को जोड़े सम्मिलित प्रयास से घर व् जीवन में बहुत ऊर्जा व् उत्साह मिलता है
मई आज इंद्रकुमार जी के ऑफिस गयी थी,
मुझे सफलता नही मिली है किन्तु प्रयास करना मेरा धर्म है
आप भी किसी न किसी दिशा में कुछ करे, चाहे वो किसी गीत को गुनगुनाना, सीखना क्यों न हो
इससे आपको घुटन नही महसूस होगी, अपना ज्ञान दूसरों से बनते व् हुनर से दो पैसे कमाए , ये बहुत सुख देता है,. कोई भी यदि काम करके पैसा कमाए तो, उसे छोटा नही जाने, अपितु, उसका हौसला बढ़ाये
कभी ये धीमे बेआवाज कदमों से भी गुजरता है मई ख़ामोशी में भी कुछ रचती हूँ
हमेशा चपल। …ये बिल्ली जैसी फुर्ती
मुझे लिखने का रोग है , लोग इसे चस्का कह सकते है
बहुत भरी होता है , बहुत बोझिल शौक है
आप लिखते लिखते अक्सर अकेले हो जाते है
घर बहार से कट जाते है
मई यदि अपनी १० वि किताब के पहले नही जनि जाती हूँ तो, इसका कारण है मेरा
कंही भी अपनी गोटी नही बिठाना, एकांतवास में सृजन तो होता है
किन्तु आप जाने जाए , आपने क्या लिखा ये सामने आना चाहिए
इश्लीए प्लीस यदि आप लिखते है तो छिपैये छिपाईये मत , सामने लाइए
किंतु, कैसे बड़े पापड़ बेलने होते है
पत्रिकाओं के चक्कर में उम्र निकल जाती है
आप किसी पत्रिका में भेजकर प्रतीक्षा करते है किन्तु उसका सारतत्व मारकर कोई अपने नाम छाप ले जाता है
इश्लीए भले ही छोटा हो, यदि पहचान का है, तो छोटे अख़बार से जुड़े , पैसे भी मांगे, यदि ऐसे ही छाप रहे है, तो प्रति तो दे ही
यदि आपको लिखना पढ़ना पसंद है तो शिक्षा के क्षेत्र से जुड़िये
आपके पीछे ठोस आर्थिक आधार जरुरी होता है, चाहे वो, घर से हो
चाहे आपने काम किया हो
कुछ न कुछ करते रहे
हो सके तो हमउम्र व् समान पसंद वालों से मिलकर कोई सभा गोष्ठी का आयोजन किसी खास अवसर पर करे
सभीसे मेलजोल , और अपने कला का प्रदर्शन एक अच्छे माहौल को जन्म देगा
बच्चे,, युवा व् बुजुर्गों को जोड़े सम्मिलित प्रयास से घर व् जीवन में बहुत ऊर्जा व् उत्साह मिलता है
मई आज इंद्रकुमार जी के ऑफिस गयी थी,
मुझे सफलता नही मिली है किन्तु प्रयास करना मेरा धर्म है
आप भी किसी न किसी दिशा में कुछ करे, चाहे वो किसी गीत को गुनगुनाना, सीखना क्यों न हो
इससे आपको घुटन नही महसूस होगी, अपना ज्ञान दूसरों से बनते व् हुनर से दो पैसे कमाए , ये बहुत सुख देता है,. कोई भी यदि काम करके पैसा कमाए तो, उसे छोटा नही जाने, अपितु, उसका हौसला बढ़ाये
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