Saturday 2 August 2014

आज उस गरीब बालिका की तेरहवी है 
वो, बेचारी, जिसने साराह-अठारह  सावन देखे होंगे उसके माता पिता ने उसकी शादी की थी जन्हा शादी हुई 
वंहा उसे दसियों की तरह जिन था रत पीटीआई की वासना 
और दिनभर सास-ननद की सेवा में दिन कैसे गुजरते नींद से झूलती वो, लगी रहती 
कोई उसका खैरख्वाह भी नही था 
क्या हुआ, वो गरीब की बेटी थी किन्तु, ईश्वर ने उसे 
सोने से बनाया था 
सुंदर तन मन ऐसा की देखने वाले के ह्रदय में ममता उमड़ती 
किन्तु , उन दरिंदों को उसकी सेवा नही चाहिए थी उन्होंने उसका कत्ल कर दिया 
फिर जला दिया 
पुलिस को पैसे भर दिए 
कोई आवाज उठाने वाला नही था 
तब वो, क्या करती मर गयी 
सब चुप हो गए 
आज उसकी तेर्विन है ससुराल वाले उसकी मौत का जश्न मना रहे है 
कोई नही जो एक बेटी के लिए सोचे सब सत्ता व् पैसे के लिए सोचते है लोग भावना में नही 
चकाचौंध में जीते है 
किन्तु ईश्वर न्याय करेंगे 
जिस पति ने उसकी हत्या किया है 
उसका सर्वनाश जरूर होगा 
ऐसे भगवन किसी को नही बख्शते वे लोग देखते देखते मिट जायेंगे 
वरना मई समझूंगी 
की कृष्ण नही है 
ईश्वर है, तो 
उस बालिका को मरने वालों को सजा जरूर देंगे कानून ने उन्हें बख्शा तो क्या कान्हा उन्हें सजा दो 

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