Saturday 30 August 2014

मेरे विवाह
मेरे विवाह के पूर्व मैंने अपनी सगाई तोड़ दी थी मुझे वंहा रिस्ता नही पसंद था मई कुछ समझ नही सकी थी 
फिर भी वंही मेरा रिस्ता दोबारा किया गया 
मुझे फिरसे पाना एक प्रतिष्ठा थी,
मेरे लिए ७५ किलोमीटर की यात्रा देवी दर्शन कर की गयी वो भी पैदल 
फिरभी एक जबरन किये गए विवाह में मुझे रोज प्रति पल जो कास्ट सहने पड़े 
उनकी आजतक कोई सीमा नही है मुझे विवाह के तुरंत बाद इतने शाक लगा जिसे गिनना मुश्किल था आज भी उस अनमेल रिश्ते की पीड़ा मेरा बीटा सह रहा है 
मई किसीसे उस दर्द को कभी इसलिए नही कहती 
क्योंकि, एक लेखिका के रूप में 
मेरी प्रतिष्ठा नस्ट होती है मई चाहती हूँ आज की लड़कियां 
विवाह से पहले मालूमात करे कोई रिस्ता जबरन न किया जाये 
कुछ समय बाद सब कुछ संभल जाता है 
किन्तु जो, रिश्तों में खरोंच हो वो तन-मन पर भारी होते है 

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