Tuesday 5 August 2014

मेरे नावेल जवाकुसुम से ये दोहा देखिये 
ये शालिनी, सहनायिका की सुहागरात पर नायक द्वारा कहा गया दोहा है ये एक रीती रही है 
विवाह पर रीतिकालीन परम्परा का निर्वाह हुआ है , इस दोहे में 

जैसे कृष्ण की प्यारी रूखमणी रानी 
जैसे पृथ्वीराज को प्यारी संयोगिता राजकुमारी 
जैसे राम जी को प्यारी सिया सुकुमारी 
वैसे अमर जी को प्रिय किरण तिवारी 

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