Saturday 2 August 2014

बनारस की बयार 
आभार तेरा 
की आज मित्रता दिवस है 
तुम तो ऐसे चली गयी 
बिना बताये 
कभी नही सोचा 
फिर क्यों किये थे 
तूने पहली बार 
मुझसे इतने सवाल 
और जो आने का कहके गयी थी 
क्यों नही लौटी एक पलकों भी 
बनारस की बयार 
तुझे फिरसे देखने 
आखें तरसती है 
आ फिरसे वडा निभाने को आ 
तूने कहा था की तू, एक दिन लौटेगी 
फिर क्यों नही लौटती ख्यालों में तो 
तारों की तरह 
तू जगमगाती है 
फिर भी 
तेरी एक झलक के लिए 
आँखे तरस जाती है 
बनारस की बयार 
लौटकर जरूर आना 
फिर न करना कोई बहाना 

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