बनारस की बयार
आभार तेरा
की आज मित्रता दिवस है
तुम तो ऐसे चली गयी
बिना बताये
कभी नही सोचा
फिर क्यों किये थे
तूने पहली बार
मुझसे इतने सवाल
और जो आने का कहके गयी थी
क्यों नही लौटी एक पलकों भी
बनारस की बयार
तुझे फिरसे देखने
आखें तरसती है
आ फिरसे वडा निभाने को आ
तूने कहा था की तू, एक दिन लौटेगी
फिर क्यों नही लौटती ख्यालों में तो
तारों की तरह
तू जगमगाती है
फिर भी
तेरी एक झलक के लिए
आँखे तरस जाती है
बनारस की बयार
लौटकर जरूर आना
फिर न करना कोई बहाना
आभार तेरा
की आज मित्रता दिवस है
तुम तो ऐसे चली गयी
बिना बताये
कभी नही सोचा
फिर क्यों किये थे
तूने पहली बार
मुझसे इतने सवाल
और जो आने का कहके गयी थी
क्यों नही लौटी एक पलकों भी
बनारस की बयार
तुझे फिरसे देखने
आखें तरसती है
आ फिरसे वडा निभाने को आ
तूने कहा था की तू, एक दिन लौटेगी
फिर क्यों नही लौटती ख्यालों में तो
तारों की तरह
तू जगमगाती है
फिर भी
तेरी एक झलक के लिए
आँखे तरस जाती है
बनारस की बयार
लौटकर जरूर आना
फिर न करना कोई बहाना
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