Monday 3 November 2014

वास्तविकता को समझना 
फिर जीवन को जीना 
ये जरुरी है 
की हम अपना आर्थिक आधार तलाशे 
जिसके बिना हमारा अस्तित्व नही होता 
आज मेरा पुत्र अपने को साबित करने की लड़ाई लड़ रहा है सभी युवाओं के 
समक्ष ये चुनौती आती है 
हमे अपनी नई पीढ़ी का  बढ़ाना है 
की, वो नए चुनौती का सामना करते हुए 
अपने ओ साबित कर सके 
अपने पुत्र की समस्याओं पर 
जिससे वो जाने कबसे जूझता रहा 
दुनिया में अकेला हो गया 
आज मुझे उसका साथ देना है 
मई एक किताब भी 
उसके जैसी मानसिक समस्या से झुझ रहे युवाओं पर लिखूंगी 
नाम रखा है, घर का चिराग 
मेरे नावेल , पारिजात के आने में कुछ दिनों की देरी हो रही है इस बीच मई पारिवारिक 
दायित्व निभा रही हु, 
बेटे का घर बसाना मेरी प्रथम प्राथमिकता है 

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