Thursday 26 November 2015

is blog me likhi, sabhi kavitayen meri h, iska upyog meri ijajat se hi kre

तू 
शब्दों से परे 
एक अहसास 
इतनी खबसूरत 
जैसे फागुनी पलाश 
ऐसी मदमाती 
जैसे शिशिर में 
फूला हो पलाश 
तेरा आना जीवन में 
लगता है 
ज्यूँ लगा हो मधुमास 
तेरी बातें ऐसी 
मानो तरंगित हो उल्लास 
तू है , जन्हा लगता है 
सितारों से जगमगाता आकाश 
ए , परी , ए अप्सरा 
वंहा कंही स्वर्ग होगा 
जन्हा होगी तू , तेरे आसपास 
मेरे जख्मी दिल की 
तू ही तो है , अबुझ प्यास 

No comments:

Post a Comment