Saturday 14 November 2015

hnsa jaye akela

आज से ये फिरसे लिख रही हूँ, क्या है , कि , हंसा जाये अकेला को, किसी ने शरारत में हमसा जाये अकेला कर दिया था , मुझे ये भी पता है,, की ये नततपन शरारत कौन किये है, खैर, ईश्वर उसे सलामत रखे 
आजकल, मई बहुत सारा लिखना छटी हूँ, लेकिन क्या लिखू, जो, घर में सोचा था , वो यंहा खुल जाती हु, 
और गलतियों की भरमार रहती है, इश्लीए , मेरे ब्लॉग नही उठते , पर मई हिम्मत नही हारती। 
सोचा है, जो रोज करती हूँ, वंही लिखूंगी, और जब आज कीखबर , देखि तो, सन्न रह गयी, पूरी दुन्या 
दुनिया जैसे बारूद के ढेर को सजाये बैठी है. दिवाली में इंडिया के साथ फ़्रांस में फटके नही बम फोड़ रहे है, आतंकी , ये वाकई दुखद है। 
ये जो कटटरता से धर्म का इजहार करते है, उसकी परिणति है. हिन्दुओ ने तो ११ वि सदी के पहले से आतंक झेले हा, कल्पना नही कर सकते , की उसवक्त विदेशी हमले से जनता कितनी लूटी व् मारी गयी थी 
(क्रमश)

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