किशनपाल तोमर की कविता
करता हूँ समर्पण करके
सबकुछ उसको अर्पण
मगर फिर पूछता हूँ
खुद ही अपने आप से
क्या है, मेरी खता
जिसको मैं पाना चाहता हूँ
क्या है उसका पता
करता हूँ समर्पण करके
सबकुछ उसको अर्पण
मगर फिर पूछता हूँ
खुद ही अपने आप से
क्या है, मेरी खता
जिसको मैं पाना चाहता हूँ
क्या है उसका पता
No comments:
Post a Comment