Monday 3 March 2014

देख 

देख तुझ पर एक कविता लिखना है पर ये 
किन्तु तू ये तो बता कि क्या लिखना है 
ये तो पता है 
कि तुम जंहा भी हो 
जैसी भी हो 
बहुत अच्छी लगती हो 
इसके बाद और कुछ 
लिखना हो, बाकि 
तो, वो भी बताना 
कोई बाहना नही बनाना 

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