Friday 22 April 2016

हमारी दुनिया किस दिशा में जा रही है 
मैंने अपनी जिंदगी में , पेड़ों को कट्टे कट्टे काटते देखि हूँ 
और खेतों को प्लाट में बदलते 
अब हवाएं पहाड़ों से टकराकर नहीं रूकती 
वे बदल जाने कंहा गए जो बरसने के बाद भी बरसने को तत्पर होता थे 
हमारे स्मार्ट सिटी और  सिर्फ स्वार्थ की बातें करते है इतना स्वार्थ की 
अपने सम्राज्य को बढ़ते है पर खेत -खलिहान, गौओं की हिफाजत नहीं करते 
और प्राणियों के लिए कोई जगह नहीं बची है 
गौरैया जो हमारे घर-आँगन की साथी थी, जाने कंहा चली गई 
अब अलसभोर में गौओं  व् कौवों की आवाज नहीं रही 
कौवे जो सुबह के पहले, ब्र्ह्ममुहत में कण्व कांव करते थे 
और हमे सुबह के पूर्व जगते थे 
हमारी दुनिया में प्राणियों का स्थान नहीं रहा 
लोग पैसों के लिए , गांवों गांवों गांवों गौ को दुहते है 
गौ पालन अब श्रद्धा का विषय नहीं रहा 
गौ हमारे घर की सदस्य नहीं रही 
सदस्य्ता सदस्य्ता सदासयता नहीं रही 
प्रेम करुणा करुणा नहीं रहे 
लोग स्मार्ट ऐसे बने की क्रूर हो गए 
भ्रस्टाचार की नदी बही , और गंगा सूखने लगी 
हमें ऐसे पाखण्डो का विरोध क्र समाज में दया भाव को लाना है 
ये सच की भावनाएं मर चुकी है 
पर उसे जिलाना है 
जो मुर्गे बेचते है,वे उन्हें   रखते है 
पे मुर्गियों को पानी नहीं देते 
मैंने संघ वालों को लिखा है, कि गौ पलकों को सही बात बताई जाये 
मैंने गौरैयों के संरक्षण हेतु उप्र के अखिलेश यादव जी को पत्र लिखा है 
उन्हें धन्यवाद कहा है कि 
उन्होंने पक्षियों के लिए घोंसले बनते है 
पुरे देश को इसका अनुसरण करना है पत्रकार जो गांवों के है 
पर्यावरण को बचने की बातें करें 

No comments:

Post a Comment