ajib sa desh है मेरा
यंहा का इतिहास बदल गया
हम सब बदल गए
देश के इतिहास में
रह गया सिर्फ मुग़ल काल
न गुप्त न मौर्य न अशोक
न विक्रमादित्य
जैसे सब कुछ
सिंहासन बत्तिशी में बिला गया हो
देश के अतीत से अनजान
अपने से अजनबी
एक ऐसी कौम आयी
कि जो अपने पुरातन को चाहते थे
वे हाशिये से भी
धकेले गए
राज्य सभा में तक
सिर्फ उनकी खातूनें थी
सब कुछ हिजाब में छुप क्र होने लगा
मुगलई और चैनिश डिश परोसे जाने लगी
हमारी गौओं को ट्रकों में भरकर
कन्हा ले जाया जाता किसी को पता नही
सब्सिडी से बूचड़खाने तर हुए
और खेती किसानी वाले
अपने ही लहू से
तर-बटर हुए
बड़ी लम्बी अनकही दास्ताँ है
इस देशीपन के दर्द की
जो अपने मुल्क में पराये से हम रहे
न कोई पूछने वाला
न कोई नाम लेवा
यंहा का इतिहास बदल गया
हम सब बदल गए
देश के इतिहास में
रह गया सिर्फ मुग़ल काल
न गुप्त न मौर्य न अशोक
न विक्रमादित्य
जैसे सब कुछ
सिंहासन बत्तिशी में बिला गया हो
देश के अतीत से अनजान
अपने से अजनबी
एक ऐसी कौम आयी
कि जो अपने पुरातन को चाहते थे
वे हाशिये से भी
धकेले गए
राज्य सभा में तक
सिर्फ उनकी खातूनें थी
सब कुछ हिजाब में छुप क्र होने लगा
मुगलई और चैनिश डिश परोसे जाने लगी
हमारी गौओं को ट्रकों में भरकर
कन्हा ले जाया जाता किसी को पता नही
सब्सिडी से बूचड़खाने तर हुए
और खेती किसानी वाले
अपने ही लहू से
तर-बटर हुए
बड़ी लम्बी अनकही दास्ताँ है
इस देशीपन के दर्द की
जो अपने मुल्क में पराये से हम रहे
न कोई पूछने वाला
न कोई नाम लेवा
फिर से
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