पूस माह की भोर या अलसुबह जब नमाज होती है, उसका गाँव में विशेष महत्व है. कार्तिक माह से ही गाँव के खेत khlihaono में जो फसलों की महक आती है, उसे बयार ही कहते है. किसानो के लिए खेतों का क्या महत्व है, ये कोई उनसे पूछे.पहले जो घनी होती थी वो श्रम साध्य थी.
हमे अपने देश की पारम्परिक खेती की जानकारी होनी chahiye, जिससे हमने मुंह मोड़ लिया है.अब खेती की जगह दुकाने बन रही है, फसलों का रकबा घट रहा है, खेती करने वाला वर्ग टूट चूका है, बाद में.....
हमे अपने देश की पारम्परिक खेती की जानकारी होनी chahiye, जिससे हमने मुंह मोड़ लिया है.अब खेती की जगह दुकाने बन रही है, फसलों का रकबा घट रहा है, खेती करने वाला वर्ग टूट चूका है, बाद में.....