Saturday 31 December 2011

pus ki bhor

पूस माह की भोर या अलसुबह जब नमाज होती है, उसका गाँव में विशेष महत्व है. कार्तिक माह से ही गाँव के खेत khlihaono में जो फसलों की महक आती है, उसे बयार ही कहते है. किसानो के लिए खेतों का क्या महत्व है, ये कोई उनसे पूछे.पहले जो घनी होती थी वो श्रम साध्य थी.
हमे अपने देश की पारम्परिक खेती की जानकारी होनी chahiye, जिससे हमने मुंह मोड़ लिया है.अब खेती की जगह दुकाने बन रही है, फसलों का रकबा घट रहा है, खेती करने वाला वर्ग टूट चूका  है, बाद में.....

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