Tuesday, 31 March 2015

एक
एक तेरा 
लौटके नही आना 
और जिंदगी का 
अपने आप से 
खफा हो जाना 

Thursday, 26 March 2015

मन्नू ने रम्भा को चिट्ठी लिखी बस यूँ ही लिखा 
       प्राणप्रिये 
तुम गलत क्यों समझी 
चर्च में जो दिखा 
वो, प्रभु की प्रेरणा थी  
विरह -दग्ध ह्रदय को एक, सांत्वना भर 
जो, तुम जैसे नही कंही 
न, किसी के लिए 
कंही कोई भाव 
आप ऐसा क्यों समझी 
क्या गलती थी की अचानक 
तुम्हे, बताने की इन्ही मंतव्य था 
की, प्रभु ने 
जैसे स्वयं सांत्वना दी थी 
आप गलत मत समझना 
ये मन ऐसा नही है जो. कंही भी 
कुछ सोचे 
बिलासपुर 
जा रही , कोई सुंदर 
रमणी यदि 
अपनी मीठी बोली से आकर्षक 
लगे तो, क्या 
मन उधर होगा 
तुम्हारे सिवाय 
कंही भी कोई नही 
और, ये तुम्हारा 
फैसला है 
की तुम, 
क्या करती हो तुम्हारी 
ख़ुशी। … 
तुम्हारे लिए 
                             मन्नू 

सब सुखियन की खानी सुनो मैया आदि भवानी-राकेश तिवारी

Tuesday, 24 March 2015

bnaras ki byar: एक एक खत लिखूं  जो, हवाओं पर हो  जो, लहरों पर हो  ...

bnaras ki byar: एक
एक खत लिखूं 
जो, हवाओं पर हो 
जो, लहरों पर हो 
...
: एक एक खत लिखूं  जो, हवाओं पर हो  जो, लहरों पर हो  और,  फूलों पर हो  जो,  प्राची की  सुनहरी किरणों से  क्षितिज पर लिखा हो  ऐसा कोई...
एक
एक खत लिखूं 
जो, हवाओं पर हो 
जो, लहरों पर हो 
और, 
फूलों पर हो 
जो, 
प्राची की 
सुनहरी किरणों से 
क्षितिज पर लिखा हो 
ऐसा कोई खत 
तेरे नाम लिखूं 
                                   
कितनी बार 
मैंने ख्यालों में 
अलसुबह भोर के भी पहले 
जब, सूर्य की किरणें 
प्राची में 
बिखर रही होती है जब,
क्षितिज पर कुछ 
थोड़ा सा 
अँधेरा- उजियाला 
मिलकर कुछ कह रहा होता है तब, धरती के 
अंधकार से दूर भोर की लालिमा में 
कुछ हंसों को चुपचाप 
आसमान में 
उड़ते देखा है 
जो, सूर्य-रश्मियों में 
चमकते होते है किसी देव-लोक सा 
ये दृश्य 
मुझे स्तब्ध कर देता है 
                                                
तुम बिन , अभी 
एक दिन ही तो 
बिता है 
और, मेरे पास 
कहने को 
जाने कितनी कविता है 
                                                
किसी को 
उनकी 
प्रिय पत्नी मिल गयी 
और, मेरे प्यार को 
सद्गति 
मिल गयी 

Monday, 23 March 2015

bnaras ki byar: मन्नू मन्नू  ने  मन्नू ने रम्भा को  खत लिखा  ,    ...

bnaras ki byar: मन्नू
मन्नू  ने 
मन्नू ने रम्भा को 
खत लिखा 
,    ...
: मन्नू मन्नू  ने  मन्नू ने रम्भा को  खत लिखा  ,              प्राणेश्वरी  तुम नाराज न होना  तुम्हारा संसार इतना प्यारा है   अपनी दुन...
मन्नू
मन्नू  ने 
मन्नू ने रम्भा को 
खत लिखा 
,             
प्राणेश्वरी 
तुम नाराज न होना 
तुम्हारा संसार इतना प्यारा है 
 अपनी दुनिया में 
मस्त मग्न हो 
क्या ये ख़ुशी 
मेरे लिए काम है 
तो, फिर ,
ये जान। … 
मुस्करा दो , 
जरा फिरसे 
की इस दुनिया में 
तुम्हारे बिना 
बहुत गम है 
खुश रहो 
आबाद रहो 
             मन्नू