Monday 12 December 2016

bahut लम्बे वक़्त से मित्र है, किशनपाल तोमर जी 
डेल्ही हिघ्कोर्ट में वकील है 
अपनी कवितायेँ लिख भेजे है 
यंहा दे रही हूँ, तोमर जी की कविता 
जो मुझे भी अच्छी लगी है 
            १                                 
लोग कहते है 
अपने सच्चे प्यार को भुला देना ही 
सच्चा प्यार है 
ये कैसा विचित्र संसार है 
( है, न )
                    २                              
तुम्हारे
तुम्हारे प्यार की अग्नि में 
जो घर जले 
उन्ही में से 
एक घर मेरा था 
ये बात और थी कि 
तुम्हारे घर में उजाला था 
मेरे घर में अँधेरा था 
तुम हंसे 
मई रोया था 
तुम तो चैन से सोये 
आग लगाकर 
मई साड़ी रात न सोया था 
(ये किसी दिलजले की कविता हो सकती है, न )
                                                                            
ये 
ये 
ये तोमर साहब की कविता है 
मई तो पखेरुओं की कविता लिखती हूँ 
जो आशावादी हो 
जाने ने, कब स्कुल के दिनों में ये लिखा हो 

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