Monday, 27 April 2015

रम्भा ने मन्नू के लिए फेसबुक 
बना दी,
मन्नू ने उसे पासवर्ड बता दिया 
अल्तु-पलटू altu-paltu
किन्तु,
जब मन्नू ने 
फेसबुक पर रम्भा के नाम कॉमेंट 
देखे तो, उसका मन बैठ गया 
एक ने रम्भा को लिखा था 
अभी , दिल नही है ,भरा 
इसपर , मन्नू ने उस आदमी को लिखा 
साले , तू अभी तक नही मरा 
इसपर , रम्भा ने मन्नू को 
उन्फ्रेंड कर दिया 
मन्नू को रम्भा का प्रोफाइल 
फिर नही मिला 
लेकिन 
फिर ये हुआ की रम्भा ने 
एक दिन मन्नू से पूछा 
मन्नू तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है 
क्यों मेरे पीछे हाथ धोकर। ……। 
मन्नू ने तब कह दिया 
दिल का हाल। .... 
rambha , i love u, unlimited........तब 
तब, रम्भा और मन्नू 
हमेशा के लिए एक हो गए 
फिर उन्हें कोई अलग नही कर सका
एक दिन रम्भा ने कलेवा को पूछा 
मन्नू ने कहा , की रम्भा की जूठी रोटी के कुछ टुकड़े। .... 
बस 
एक, प्रेम कहानी शुरू हो गयी 
लिखने को फिर बचा ही क्या 
(कलसे , नए ताजा मेटर पर चर्चा करेंगे )

Saturday, 25 April 2015

bnaras ki byar: मन्नू अपनी प्राणों से प्रिया रम्भा से यंही जानना ...

bnaras ki byar: मन्नू अपनी प्राणों से प्रिया 
रम्भा से यंही जानना ...
: मन्नू अपनी प्राणों से प्रिया  रम्भा से यंही जानना चाहते है  की , वो कैसी है  प्रति-पल  ये जो प्रकृति में हादसे घटते है  मन्नू का दिल  ...
मन्नू अपनी प्राणों से प्रिया 
रम्भा से यंही जानना चाहते है 
की , वो कैसी है 
प्रति-पल 
ये जो प्रकृति में हादसे घटते है 
मन्नू का दिल 
बेचैन है , रम्भा के लिए 
मन्नू ने 
फिर पूछा 
ये मेरी जिंदगी बता 
तुम हो कहा 
कहा हो तुम और ऐसी हो 
कैसी हो रम्भा ने 
उलट कर जवाब दिए 
क्यों बताये 
की हम कैसे है कोई, तुमसे पहचान है 
क्या हमारी 
मन्नू को कुछ सुझा नही की अपनी कोई पहचान 
कहा से निकले 
रम्भा बिना जिंदगी नीरस लगती है 
और रम्भा उसे गंभीरता से नही लेती 
मन्नू ने इससे ही संतोष किया मनको 
मनको समझा लिया की रम्भा बहुत अच्छे से है 
इससे ज्यादा सवाल का 
कोई टूक नही था 

Saturday, 18 April 2015

mannu ka love letter

मन्नू का क्या है 
रम्भा की शादी के बाद 
कभी कभी याद आये तो 
रम्भा को चिट्ठी लिखना 
रम्भा को चिट्ठी लिखना 
और , गंगा जी की लहरों में बहा देना 
इस बार मन्नू के पास कुछ नही था 
लिखने को 
फिर भी लिखना था , कुछ तो 
मन्नू ने लिखा शी'र 
      सर से पांव तलक एक अदा छाई हुई है 
       उफ़ , तेरी मासूम जवानी जोश पर आई हुई है 
                                                   मन्नू
ye sab पढ़कर रम्भा बहुत नाराज हुई 
और मन्नू से कहलवाया 
ये क्या कुछ मौलिक नही लिख सकते 
तो, यंहा वंहा का मारकर लिख भेजा 
मन्नू ने लिखा 
आप तो, प्रेयशी 
हो, सुमधुर 
मधुर प्रेयशी 
आप तो , मन्नू की और न देखो कभी 
किन्तु, आपके गाल cheeks तो 
मुझे देखते है 
और आमत्रंण भी देते है 
इसपर आपका क्या कहना है 
                   मन्नू       
किन्तु , रम्भा ने कोई जवाब नही दिया 
मन्नू ने फिर स्पष्ट किया 
          प्रिया प्रेयसी 
           आप तो, हो 
सुमधुर ,
                       पेय सी 
                 देखो    
तुम तो, मन्नू को नही देखो 
           हरदम अपने उनको देखो 
            किन्तु, तुम्हारे गाल 
                हमेशा , हँसते हुए 
                हमे देखते है     
                                  मन्नू 

(सच तो, ये है, 
की कविता करने का मन नही होता 
बिकुल भी
मन्नू ने लिखा 
जानेमन 
देखो , तुम न देखो मुझे हमेशा 
   ये जणू जणू कहो तो 
गुस्सा होती है तुम न देखो पर 
तुम्हारे गालों पर लगा orange कलर 
तो, देखते हैलो और मुस्कराते भी है हमे 
इशारे भी करते है 
क्या करे , तुम ही कहो 
तो, रम्भा ने कहा 
तुम्हारी चिट्ठी में बहुत गलती है तुम 
मुझसे क्लॉस लो 
तुम्हे ठीक से लिखना सीखा दू 
तुम जो लिखो,
उसमे एक  लाइन में ५ त्रुरटी होती है 
रम्भा की क्लास में मन्नू ने जो भी सीखा 
किन्तु , उसे भूख बहुत लगती 
बोले, अब हो गया 
कुछ खिलाओ 
रम्भा बोली 
यंहा खाना नही सीखना है मन्नू बोले किन्तु, स्कूल में तो 
दोपहर को खिलते है 
खिलाते है 
रम्भा ने बताया, 
लेकिन सीखते कब है जो, खिलते है, वे.... 
मन्नू ने जो चिट्ठी लिखी वो, कल 
देखेंगे, आज सब भूल गए है 

Tuesday, 14 April 2015

मन्नू
मन्नू 
मन्नू ने लिखी 
रम्भा को चिट्ठी 
                                   
           प्राणों से प्रिय प्रेयशी 
           कोई नही देखि 
               तुम्हारे जैसी 
               जानेमन 
तुम्हारे मोहपाश से 
             बचने का 
नही है , कोई जतन 
                 प्रिये 
                  देखि , तुम्हारे घर की दिवाली 
दिलवाली                      
                          मेरी आँखों में छायी हरियाली 
                                                   
प्रियतमा                 
                     तुम्हे सबकुछ आता है 
एक, सिवाय ,     प्यार के 
                        मुझे कुछ भी नही आता 
                           सिवाय प्यार के  
                                       तुम्हारे लिए    
म                                             मन्नू 

Thursday, 2 April 2015

ZIKR HOTA HAI JAB QAYAMAT KA - Mukesh - MY LOVE (1970)

 प्यार में 
खुदगर्ज हो जाना 
और , 
तिनके तिनके 
आशियाना बनाना 
ये 
कोई गुनाह नही 
तुम्हारा 
जिंदगी जीने का 
तरीका है 
जियो 

Wednesday, 1 April 2015

मोहब्बत वो, कस्तूरी है 
जो, जीने के लिए जरुरी है 
यदि, आप किसी के प्यार में है 
तो, बहुत ज्यादा म्हणत करते है 
बहुत कुछ बर्दास्त करते है 
कोई, आपको मतलबी कहे तो कहे 
कोई किसी को कुछ कहने से 
मना तो, नही कर सकते 
                                     
मोहब्बत 
यदि खुदगर्जी है 
तब भी 
ये नफरत से तो 
बेहतर है 
                                
आअप किसी के प्यार में है 
तो, अकेले भी 
अपने आप में मग्न रह सकते है 
जबकि 
प्यार में नही है तो आप 
गुस्से में होंगे 
या चिड़चिड़े होंगे 
                              
इश्लीए 
प्यार में होना 
ज्यादा 
सुरक्षित है 
यदि,
आप ऐसे मतलबी से 
डरते है तो, हमेशा 
बच के रहे 
                              
मुझे नही पता 
की,
कुछ लोगों की फितरत 
प्यार क्यों होती है और 
कुछ लोग 
जिंदगी भर 
प्यार नही करते 
 सिर्फ जीते रहते है