मन्नू अपनी प्राणों से प्रिया
रम्भा से यंही जानना चाहते है
की , वो कैसी है
प्रति-पल
ये जो प्रकृति में हादसे घटते है
मन्नू का दिल
बेचैन है , रम्भा के लिए
मन्नू ने
फिर पूछा
ये मेरी जिंदगी बता
तुम हो कहा
कहा हो तुम और ऐसी हो
कैसी हो रम्भा ने
उलट कर जवाब दिए
क्यों बताये
की हम कैसे है कोई, तुमसे पहचान है
क्या हमारी
मन्नू को कुछ सुझा नही की अपनी कोई पहचान
कहा से निकले
रम्भा बिना जिंदगी नीरस लगती है
और रम्भा उसे गंभीरता से नही लेती
मन्नू ने इससे ही संतोष किया मनको
मनको समझा लिया की रम्भा बहुत अच्छे से है
इससे ज्यादा सवाल का
कोई टूक नही था
रम्भा से यंही जानना चाहते है
की , वो कैसी है
प्रति-पल
ये जो प्रकृति में हादसे घटते है
मन्नू का दिल
बेचैन है , रम्भा के लिए
मन्नू ने
फिर पूछा
ये मेरी जिंदगी बता
तुम हो कहा
कहा हो तुम और ऐसी हो
कैसी हो रम्भा ने
उलट कर जवाब दिए
क्यों बताये
की हम कैसे है कोई, तुमसे पहचान है
क्या हमारी
मन्नू को कुछ सुझा नही की अपनी कोई पहचान
कहा से निकले
रम्भा बिना जिंदगी नीरस लगती है
और रम्भा उसे गंभीरता से नही लेती
मन्नू ने इससे ही संतोष किया मनको
मनको समझा लिया की रम्भा बहुत अच्छे से है
इससे ज्यादा सवाल का
कोई टूक नही था
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