मन्नू का क्या है
रम्भा की शादी के बाद
कभी कभी याद आये तो
रम्भा को चिट्ठी लिखना
रम्भा को चिट्ठी लिखना
और , गंगा जी की लहरों में बहा देना
इस बार मन्नू के पास कुछ नही था
लिखने को
फिर भी लिखना था , कुछ तो
मन्नू ने लिखा शी'र
सर से पांव तलक एक अदा छाई हुई है
उफ़ , तेरी मासूम जवानी जोश पर आई हुई है
मन्नू
ye sab पढ़कर रम्भा बहुत नाराज हुई
और मन्नू से कहलवाया
ये क्या कुछ मौलिक नही लिख सकते
तो, यंहा वंहा का मारकर लिख भेजा
मन्नू ने लिखा
आप तो, प्रेयशी
हो, सुमधुर
मधुर प्रेयशी
आप तो , मन्नू की और न देखो कभी
किन्तु, आपके गाल cheeks तो
मुझे देखते है
और आमत्रंण भी देते है
इसपर आपका क्या कहना है
मन्नू
किन्तु , रम्भा ने कोई जवाब नही दिया
मन्नू ने फिर स्पष्ट किया
प्रिया प्रेयसी
आप तो, हो
सुमधुर ,
पेय सी
देखो
तुम तो, मन्नू को नही देखो
हरदम अपने उनको देखो
किन्तु, तुम्हारे गाल
हमेशा , हँसते हुए
हमे देखते है
मन्नू
(सच तो, ये है,
की कविता करने का मन नही होता
बिकुल भी
मन्नू ने लिखा
जानेमन
देखो , तुम न देखो मुझे हमेशा
ये जणू जणू कहो तो
गुस्सा होती है तुम न देखो पर
तुम्हारे गालों पर लगा orange कलर
तो, देखते हैलो और मुस्कराते भी है हमे
इशारे भी करते है
क्या करे , तुम ही कहो
तो, रम्भा ने कहा
तुम्हारी चिट्ठी में बहुत गलती है तुम
मुझसे क्लॉस लो
तुम्हे ठीक से लिखना सीखा दू
तुम जो लिखो,
उसमे एक लाइन में ५ त्रुरटी होती है
रम्भा की क्लास में मन्नू ने जो भी सीखा
किन्तु , उसे भूख बहुत लगती
बोले, अब हो गया
कुछ खिलाओ
रम्भा बोली
यंहा खाना नही सीखना है मन्नू बोले किन्तु, स्कूल में तो
दोपहर को खिलते है
खिलाते है
रम्भा ने बताया,
लेकिन सीखते कब है जो, खिलते है, वे....
मन्नू ने जो चिट्ठी लिखी वो, कल
देखेंगे, आज सब भूल गए है
रम्भा की शादी के बाद
कभी कभी याद आये तो
रम्भा को चिट्ठी लिखना
रम्भा को चिट्ठी लिखना
और , गंगा जी की लहरों में बहा देना
इस बार मन्नू के पास कुछ नही था
लिखने को
फिर भी लिखना था , कुछ तो
मन्नू ने लिखा शी'र
सर से पांव तलक एक अदा छाई हुई है
उफ़ , तेरी मासूम जवानी जोश पर आई हुई है
मन्नू
ye sab पढ़कर रम्भा बहुत नाराज हुई
और मन्नू से कहलवाया
ये क्या कुछ मौलिक नही लिख सकते
तो, यंहा वंहा का मारकर लिख भेजा
मन्नू ने लिखा
आप तो, प्रेयशी
हो, सुमधुर
मधुर प्रेयशी
आप तो , मन्नू की और न देखो कभी
किन्तु, आपके गाल cheeks तो
मुझे देखते है
और आमत्रंण भी देते है
इसपर आपका क्या कहना है
मन्नू
किन्तु , रम्भा ने कोई जवाब नही दिया
मन्नू ने फिर स्पष्ट किया
प्रिया प्रेयसी
आप तो, हो
सुमधुर ,
पेय सी
देखो
तुम तो, मन्नू को नही देखो
हरदम अपने उनको देखो
किन्तु, तुम्हारे गाल
हमेशा , हँसते हुए
हमे देखते है
मन्नू
(सच तो, ये है,
की कविता करने का मन नही होता
बिकुल भी
मन्नू ने लिखा
जानेमन
देखो , तुम न देखो मुझे हमेशा
ये जणू जणू कहो तो
गुस्सा होती है तुम न देखो पर
तुम्हारे गालों पर लगा orange कलर
तो, देखते हैलो और मुस्कराते भी है हमे
इशारे भी करते है
क्या करे , तुम ही कहो
तो, रम्भा ने कहा
तुम्हारी चिट्ठी में बहुत गलती है तुम
मुझसे क्लॉस लो
तुम्हे ठीक से लिखना सीखा दू
तुम जो लिखो,
उसमे एक लाइन में ५ त्रुरटी होती है
रम्भा की क्लास में मन्नू ने जो भी सीखा
किन्तु , उसे भूख बहुत लगती
बोले, अब हो गया
कुछ खिलाओ
रम्भा बोली
यंहा खाना नही सीखना है मन्नू बोले किन्तु, स्कूल में तो
दोपहर को खिलते है
खिलाते है
रम्भा ने बताया,
लेकिन सीखते कब है जो, खिलते है, वे....
मन्नू ने जो चिट्ठी लिखी वो, कल
देखेंगे, आज सब भूल गए है
बहुत ख़ूब
ReplyDeleteabhi dekhiye,mradula ji, thanks, apka bahut
ReplyDeleteye where is edite
ReplyDeleteo mil gya, likhu kya
ReplyDeletelekin hello kisne likha
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