कहा कहा नही ढूंढा तुम्हे
पर, तुम नही मिली
और इन्ही समझ में आया कि
कब कहा मिल सकोगी
पता नही
सपनों में
अपनों में
रातों में
बातों में
सब जगह
निगाहें
तुझे ढूंढ़ती रही
यंहा तक की
गूगल पर भी
पर, तुम नही मिली
और इन्ही समझ में आया कि
कब कहा मिल सकोगी
पता नही
सपनों में
अपनों में
रातों में
बातों में
सब जगह
निगाहें
तुझे ढूंढ़ती रही
यंहा तक की
गूगल पर भी
मिल तो तुम गयी ,
ReplyDeleteतुम्हें खोने के भय से
तुम्हें पहचाननेसे इकं।र है
ye pahchan bnaye rakhiye
Deleteapki ye pratibha se parichay mila h
ReplyDelete