Monday 6 July 2015

parijaat ki kahani

पारिजात
एक                         
इंदु ने इस बात का पूरा ख्याल रखा था ,कि घर के कमरे ,बरामदे सहन विस्तृत हो,उनमे एक भाव पैदा हो सके 
चहारदीवारी से घिरे आँगन में मधु-मालती की बेल बहुत छीतर गयी थी , जो जरा से मंद समीर के झोंके में , बांकपन से लहर उठती थी। घर फिर भी बड़ा ही था , मुख्य कक्ष के बगल में सहायक कक्ष थे ,वह भी , एक पृथक भाग था।  क़िन्तु उन दोनों ही भागो का बरामदा एक था। इंदु का सारा वक़्त अपने इस घर के आँगन के पेड़ों व् लतरों को संवारने में लगता था। 
 (क्रमश )

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