Saturday 1 June 2013

जब मै मिली , भतीजे से

जब, मै मिली शहर में
अपने भतीजे से, तो
बहुत याद आया , बिछड़ा गाँव
जब, उसने मेरे पांव छुए तो
याद आई बरगद की छाँव
याद आई, अमराई की कोयल
और, कौंध गयी, निम् की बयार
याद आया, पीपल का झूमना
और, माँ का मेरे माथे को चूमना
नम हुयी, आँखें मेरी
जैसे झलका हो, कलशे का पानी
कंही कूकती कोयल,
कंही गति, च्दिया रानी
नही भूल पति, पल भर भी
अपने बाबुल का गाँव
जन्हा बहा करता है , नित
माँ-पिता के स्नेह का झरना 

No comments:

Post a Comment