वो उछलते हुए मांसल कचनार
वो, छलकते कलशों के भार
वो, बंकिम चितवन की धार
जैसे, म्यान से निकली कटार
वो मचलती हुयी
गंगा की धार
वो ,लरजती हुयी
गुलमोहर की डाल
वो, चमकते हुए
मन्दिरों के कंगूरे
वो, महकते हुए
मुस्कराते मीनार
वो, मन्दिरों से आती
घंटियों की अनुगूँज
वो बेलौस छा जाती
बनारस की बयार
जोगेश्वरी
वो, छलकते कलशों के भार
वो, बंकिम चितवन की धार
जैसे, म्यान से निकली कटार
वो मचलती हुयी
गंगा की धार
वो ,लरजती हुयी
गुलमोहर की डाल
वो, चमकते हुए
मन्दिरों के कंगूरे
वो, महकते हुए
मुस्कराते मीनार
वो, मन्दिरों से आती
घंटियों की अनुगूँज
वो बेलौस छा जाती
बनारस की बयार
जोगेश्वरी
to, ye bat h, vo kchcha mal
ReplyDeleteteri yad na aye esa koi din nhi
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