Thursday 13 February 2014

अबकी बार जब बनारस कि बयार का सत्कार साक्षात्कार 
लेने पहुंचे तो, वो बहुत व्यस्त थी बोली , तुम फ़िर्से……… तुम्हे कोई कम नही है 
फिर उसे कुछ दया आ गयी 
बोली , ऐसा करो , मेरे शूज लो जब उसके शूज ला दिए 
तो, बोली इन्हे पोछकर मेरे पांव में पहना दो 
फिर बोली, कि शुस को बांध दो 
जब शूज बांध दिए , तो बओऌइ.... ये 
वो बोली, भाड़ में जाओ , आईन्दा इंटरव्यू कि बात कि तो, ये शूज सीधे तुम्हारे सर पर पढ़ेंगे 
सो सॉरी , वो नही मानती बहुत जिद्दी है 
बी हर , ऑफ़ बनारस। ……। वो, पूछना था, कि तुम गुस्सा होती हो ,
तो, इतना ज्यादा क्यों होती हो,
कुछ दिमाग भी ठंडा रखा करो 
वो, चलते चलते बोली। …तुम्हे नही समझता 
ये कपडे जब हमेशा तीते tite होते है 
तो, कुछ को गुस्सा आता ही है 
bye dear ....come near.....

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