Tuesday 25 February 2014

अ फिर
आ 
आ फिरसे मुझे अपना बनाने के लिए आ 
आ फिरसे मुझे ग़ज़ल सुनाने के लिए आ 
आ फिर किसि बात पर मुस्कराने के लिए आ 
आ, फिर से यूँ ही इतराने के लिए आ 
आ मेरी निगाहों से शर्माने के लिए आ 
आ मेरा दिल लेके मुकर जाने के लिए आ 
आ, मुझे नया  ख्वाब दिखने के लिए आ 
आ झूठे ही सही , रूठ जाने के लिए आ 
पर तू आ तो सही , किसी भी तरह से आ 

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