Thursday, 10 April 2014

ऐसा लगता है 
कंही कविता रिक्त तो नही हो जायेगी रोज का काव्य लेखन जैसे थम गया है 
आप सपने में दिखी थी, वंही दिलफरेब मुस्कान थी 
तेरे अधरों पर 
और क्या हाल है 

No comments:

Post a Comment