ऐसा लगता है
कंही कविता रिक्त तो नही हो जायेगी रोज का काव्य लेखन जैसे थम गया है
आप सपने में दिखी थी, वंही दिलफरेब मुस्कान थी
तेरे अधरों पर
और क्या हाल है
कंही कविता रिक्त तो नही हो जायेगी रोज का काव्य लेखन जैसे थम गया है
आप सपने में दिखी थी, वंही दिलफरेब मुस्कान थी
तेरे अधरों पर
और क्या हाल है
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