Saturday, 19 April 2014

कल ख्यालों में तुम मिली 
पहने हुए साडी नीली 
कन्धों पर पल्लू डाले 
बहुत ही प्यारी मुस्कराहट सिक्त 
तेरा जज्बाती चेहरा 
और अपने पुष्प-पल्लव हाथों से 
गंगाजी के धारे में 
दीप दान करती हुई 
झुकी हुई नदी  की लहर पर 
बहुत सुंदर अक्ष तेरा 
उतरा रहा था, दिए की रौशनी में 
गंगा जल में झिलमिला रहा था 
तू मासूमियत की मूरत लगी थी 
जब भी ख्यालों में मिली थी 

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