जब तेरी समन्दर आँखों में
इस शाम का सूरज डूबेगा
सुख सोयेंगे घर दर वाले
और राही अपनी रह लेगा
ये मेरी नही किसी नमी शायर की ग़ज़ल है
आपके लिए यंहा लिखी है
इस शाम का सूरज डूबेगा
सुख सोयेंगे घर दर वाले
और राही अपनी रह लेगा
ये मेरी नही किसी नमी शायर की ग़ज़ल है
आपके लिए यंहा लिखी है
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