Tuesday 4 February 2014

कितनी बार लिखी है 
कहानी , बासंती बयार 
एक बसंत था 
जो चुपके से दिल के कोने में 
बसा रहा,
धंसा रहा स्मृतियों में मई अकेली ही थी किन्तु 
किन्तु , बसंत ने कभी मुझे अकेला नही किया 
मेरी लेखनी ने बासंती अमृत ही पाया है 
चिर यौवना , ये बसंती मन। ……। 
जोगी जैसा जीवन 
किन्तु ,भरपूर बासंती मन 

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