Monday 23 June 2014

जान
जान तू साथ नही 
पर जिंदगी की जान 
तू आज भी है 

bnaras ki byar: गिरती संभालती इस जिंदगी के कुछ लम्हे तेरे साथ भ...

bnaras ki byar: गिरती संभालती 
इस जिंदगी के 
कुछ लम्हे 
तेरे साथ भ...
: गिरती संभालती  इस जिंदगी के  कुछ लम्हे  तेरे साथ भी थे  सरकार  आज तू साथ नही  [पर हमेशा  सांसों को रहेगी  तेरी दरकार
गिरती संभालती 
इस जिंदगी के 
कुछ लम्हे 
तेरे साथ भी थे 
सरकार 
आज तू साथ नही 
[पर हमेशा 
सांसों को रहेगी 
तेरी दरकार 

Sunday 22 June 2014

k
कैसे चल रही है 
सरकार आपकी 
आजकल बिलकुल वक़्त नही मिलता जिंदगी 
जिंदगी साथ दे 
इतना ही काफी है 

Monday 16 June 2014

बनारस की बयार 
कैसी हो आप 

Wednesday 11 June 2014

tumhe sambhalna h, sab ynha pr
बनारस की बयार 
तुम्ही सम्भालो अब 
सब-कुछ यंहा 

bnaras ki byar: बनारस की बयार तुम्हारी वजह से अच्छा लगता है तुम...

bnaras ki byar: बनारस की बयार 
तुम्हारी वजह से 
अच्छा लगता है 
तुम...
: बनारस की बयार  तुम्हारी वजह से  अच्छा लगता है  तुम्हारा देश  अब सम्भालो  अपना घर बार  बहुत अच्छा है  तुम्हारा संसार
बनारस की बयार 
तुम्हारी वजह से 
अच्छा लगता है 
तुम्हारा देश 
अब सम्भालो 
अपना घर बार 
बहुत अच्छा है 
तुम्हारा संसार 

Sunday 8 June 2014

bnaras ki byar: आजकल मुंबई से प्रस्थान करते हुए मई ज्यादा नही लि...

bnaras ki byar: आजकल मुंबई से 
प्रस्थान करते हुए 
मई ज्यादा नही लि...
: आजकल मुंबई से  प्रस्थान करते हुए  मई ज्यादा नही लिख पा रही हु क्योंकि  मन इधर उधर हो रहा  जब बालाघाट पहुँचूंगी तब फिरसे लिखूंगी
आजकल मुंबई से 
प्रस्थान करते हुए 
मई ज्यादा नही लिख पा रही हु क्योंकि 
मन इधर उधर हो रहा 
जब बालाघाट पहुँचूंगी तब फिरसे लिखूंगी 

Friday 6 June 2014

इन्ही नही समझ आया 
की आँखे क्या ढूंढ़ती रही, आज तक 
यदि तुम किसी को चाहो तो 
अपने को जस्टिफाई मत करना 
तुम
तुम गली के छोर पपर 
उस मोड़पर 
जन्हा से गंगा के किनारे रेलिंग है 
जाने कबतक कड़ी हो 
सहेलियों संग बतियाती 
बीच में कुछ मुस्काती 
और सच 
तुम अप्प्णी अदा से 
सबके दिलों पर छ जाती 
खड़ी 
मई
मई
मई घरसे 
मई 
मई घरसे निकली तो देखा 
जिंदगी  जिंदगी से 
लबालब भरी थी भरी है 
बच्चों की किलकारी 
आँगन में गूंज रही है 
और गलियाँ 
स्त्रियों की हंसी से गुलजार 

bnaras ki byar: कुछ तो रहष्य रहने दो तुम्हारे अपने बीच में 

bnaras ki byar: कुछ तो रहष्य रहने दो 
तुम्हारे अपने बीच में 
: कुछ तो रहष्य रहने दो  तुम्हारे अपने बीच में
कुछ तो रहष्य रहने दो 
तुम्हारे अपने बीच में 

Thursday 5 June 2014

ग्रीष्म की साँझ में जब आँखे खुलती है 
तो , इस प्रदेश में भी 
याद आता है 
बचपन का बुआजी का घर 
जब दोपहर ढलते 
नींद खुलती थी 
और डूबता सूरज की रौशनी 
दलन में भरी होती थी 
वो, औचक्क दृश्य 
आज भी चौकता है 

Mohd Rafi : Na Jhatko Zulf Se Pani from Shehnai (1964)

KHuda bhi aasmaaN se jab zameeN par dekhta...Muhammad Rafi.mp4

KHuda bhi aasmaaN se jab zameeN par dekhta...Muhammad Rafi.mp4

Wednesday 4 June 2014

bnaras ki byar: बनारसबनारस की बयार को फिर मन्नू ने लिखा बहुत सो...

bnaras ki byar: बनारस
बनारस की बयार को 
फिर मन्नू ने लिखा 
बहुत सो...
: बनारस बनारस की बयार को  फिर मन्नू ने लिखा  बहुत सोचके खत लिखा की अबकी बार  वो, रम्भा को खुश कर देगा  उसने लिखा प्रिये  न कजरे की धार ...
बनारस
बनारस की बयार को 
फिर मन्नू ने लिखा 
बहुत सोचके खत लिखा की अबकी बार 
वो, रम्भा को खुश कर देगा 
उसने लिखा प्रिये 
न कजरे की धार 
न मोतियों के हार 
न कोई किया श्रीनगर 
तुम कितनी सुन्दर हो 
इस खत को पढ़के 
रम्भा का गुस्सा भड़का सामने आकर उसने 
मन्नू को खूब खरी खोटी सुनाई 
बोली, आँखे चेक करा लो 
दीखता नही की नई ब्रांडेड ज्वेलरी पहने हूँ 
इतना लम्बा मोतियों का नेकलेस डाला है रोज बिउटी पार्लर जाती हु 
कहते हो श्रिंगार नही करती 
क्या आँखों में कम दीखता है 
इस बार मन्नू के होश उड़ गए 
हाथ जोड़के बोले ये सब शायर की करशतनि है 
हम तो आपको १०० टंच खर मानते है 
एक दिन 
एक एक दिन 
एक दिन मन्नू को याद आया की 
उसने तो अपनी प्रियतमा को बहुत दिनों से 
चिट्ठी नही लिखी है 
तो, उसने एक खत लिखा 
प्राण प्यारी रम्भा 
आप कैसी हो 
कुछ हालचाल दो 
तो, जवाब के बदले मिला 
शिवानी का जूता 
हुआ यूँ की मन्नू ने खब्त में 
खत पर रम्भा की जगह 
लिखा शिवानी का पता 
फिर क्या था 
शिवानी ने सरे राह 
दिलफेंक मजनूं की 
अपनी संदल से धुलाई कर दी 

bnaras ki byar: बनारस की बयार पता है, तेरा इत्र के चलना मचलना ठि...

bnaras ki byar: बनारस की बयार 
पता है, तेरा इत्र के चलना 
मचलना ठि...
: बनारस की बयार  पता है, तेरा इत्र के चलना  मचलना ठिठकना  और तेरी चितवन से  जाने कितनों का आहें भरना  बनारस की बयार  जब तेरी उम्र हुई स...
बनारस की बयार 
पता है, तेरा इत्र के चलना 
मचलना ठिठकना 
और तेरी चितवन से 
जाने कितनों का आहें भरना 
बनारस की बयार 
जब तेरी उम्र हुई सुकुमार 
तेरे इर्द गिर्द नज़रें आरपार 
आशिकों के हुजूम अपर 
बेशुमार 
जैसे निचे पान की दूकान 
उप्र गोरी का मकान 
ऐसे तेरे विहँसती आँखों का उपहास 
जो, न देखे 
उसका उपवास 
ऐसा रूप तेरा 
सरस सलोना 
तू, जन्हा रुक जाती 
संवर जाता गली का वो कोना 
और तेरा सखियों संग 
गलबाही डालके चलना 
बीच में हंसी ककी फुहारें 
भिगोती घर का कोना कोना 
तेरी दादी लगती तुझे 
काजल का दिधोना 
और तेरी उझकती नज़रें मचाती 
जाने कितने शरारत के बवाल तू कभी सहेली का हाथ थाम बतियाती 
कभी रेलिंग पर हंसकर झुक जाती सच, तू जिधर से भी निकल जाती 
सुकुमारी , कहर ढाती 

Tuesday 3 June 2014

bnaras ki byar: बनारस की बयार ये घर ये दर ये दर ये घर सब आपका है...

bnaras ki byar: बनारस की बयार 
ये घर ये दर 
ये दर ये घर सब आपका है...
: बनारस की बयार  ये घर ये दर  ये दर ये घर सब आपका है  तुम्हारे अधीन है  ये जीवन  ईश्वर के बाद  तुमसे ही शक्ति मिलती है  शक्तिदात्री  ...
बनारस की बयार 
ये घर ये दर 
ये दर ये घर सब आपका है 
तुम्हारे अधीन है 
ये जीवन 
ईश्वर के बाद 
तुमसे ही शक्ति मिलती है 
शक्तिदात्री 
शक्ति देने वाली ये जीवन 
तुम्हारी धरोहर है 
तुम्हारी एक मीठी मुस्कराहट 
जीने का मंत्र सिखाती है 

Sunday 1 June 2014