बनारस
बनारस की बयार को
फिर मन्नू ने लिखा
बहुत सोचके खत लिखा की अबकी बार
वो, रम्भा को खुश कर देगा
उसने लिखा प्रिये
न कजरे की धार
न मोतियों के हार
न कोई किया श्रीनगर
तुम कितनी सुन्दर हो
इस खत को पढ़के
रम्भा का गुस्सा भड़का सामने आकर उसने
मन्नू को खूब खरी खोटी सुनाई
बोली, आँखे चेक करा लो
दीखता नही की नई ब्रांडेड ज्वेलरी पहने हूँ
इतना लम्बा मोतियों का नेकलेस डाला है रोज बिउटी पार्लर जाती हु
कहते हो श्रिंगार नही करती
क्या आँखों में कम दीखता है
इस बार मन्नू के होश उड़ गए
हाथ जोड़के बोले ये सब शायर की करशतनि है
हम तो आपको १०० टंच खर मानते है
बनारस की बयार को
फिर मन्नू ने लिखा
बहुत सोचके खत लिखा की अबकी बार
वो, रम्भा को खुश कर देगा
उसने लिखा प्रिये
न कजरे की धार
न मोतियों के हार
न कोई किया श्रीनगर
तुम कितनी सुन्दर हो
इस खत को पढ़के
रम्भा का गुस्सा भड़का सामने आकर उसने
मन्नू को खूब खरी खोटी सुनाई
बोली, आँखे चेक करा लो
दीखता नही की नई ब्रांडेड ज्वेलरी पहने हूँ
इतना लम्बा मोतियों का नेकलेस डाला है रोज बिउटी पार्लर जाती हु
कहते हो श्रिंगार नही करती
क्या आँखों में कम दीखता है
इस बार मन्नू के होश उड़ गए
हाथ जोड़के बोले ये सब शायर की करशतनि है
हम तो आपको १०० टंच खर मानते है
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