Friday 6 June 2014

मई
मई
मई घरसे 
मई 
मई घरसे निकली तो देखा 
जिंदगी  जिंदगी से 
लबालब भरी थी भरी है 
बच्चों की किलकारी 
आँगन में गूंज रही है 
और गलियाँ 
स्त्रियों की हंसी से गुलजार 

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