तुम
तुम गली के छोर पपर
उस मोड़पर
जन्हा से गंगा के किनारे रेलिंग है
जाने कबतक कड़ी हो
सहेलियों संग बतियाती
बीच में कुछ मुस्काती
और सच
तुम अप्प्णी अदा से
सबके दिलों पर छ जाती
खड़ी
तुम गली के छोर पपर
उस मोड़पर
जन्हा से गंगा के किनारे रेलिंग है
जाने कबतक कड़ी हो
सहेलियों संग बतियाती
बीच में कुछ मुस्काती
और सच
तुम अप्प्णी अदा से
सबके दिलों पर छ जाती
खड़ी
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