Wednesday 23 July 2014

लिखने को ज्यादा नही है 
विश्वनाथ जी की कृपा से 
रम्भा अपने संसार में मगन है 
इससे ज्यादा और क्या चाहिए 
की लड़कियां अपनी ग्रस्ति 
व् दुनिया बसाये 
अपने मन से जैसे चाहे जी सके 
उन्हें अपने तरीके से जीने का हक़ है 
ये समझ लड़कियों को न सताए 
चाहे शादी हो 
चाहे वे अपने करियर में मग्न रहे उन्हें जीने दो 
प्यार के नाम पर भी 
लड़कियों को मत सताओ 
कुछ लोग प्यार के नाम पर 
शादीशुदा जिंदगी को बिगड़ते है 
मन्नू ने कभी नही चाहा की 
रम्भा को डिस्टर्ब हो 
उसने रम्भा की जिंदगी 
व् नई बसी जिंदगी व् दुनिया के लिए 
प्रभु से प्रार्थना ही की 
इन्ही प्रेम है 
की जिसे चाहते हो उन्हें 
निर्विध्न जीने दो 
ईश्वर को याद कीजिये 
ये जिंदगी बहुत मुश्किल भी हो जाती है 
जन्हा तक हो सके दूसरों के 
जीवन के लिए 
प्रेयर करें 
अपना भी भला होगा 

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