Wednesday 12 November 2014

केदारनाथ
केदारनाथ सिंह की कविता 
बनारस मुझे बहुत प्रिय है 
किन्तु, उसे यंहा लिख नही सकी हूँ 
बनारस पर और भी पोएम देख रही हु बनारस की बयार 
आखिर वो आपका शहर है 
मेरे पास जब पैसे होंगे 
तो, मई वंही घूमूंगी और मेरे पास होगा 
एक कैमरा 
बीएस, होगी , कोई पहचान 
तब, मई बनारस को 
विस्फारित नैनों से 
साँझ की गोधूलि में 
धुंदलाते 
और तारों की छाँह में 
किसी नव-वधु की भांति 
उभरते 
देखूंगी 

No comments:

Post a Comment