मृगलोचनी
मृदुभासणी
बनरस की बयार
रम्भा को उसके प्रिय मन्नू ने आजिज आकर लिखा
प्रियतमा
तुम्हारे बिना जिन क्लेश जैसा है
तुम बिन, अपना देश प्रदेश जैसा है
बताओ, क्या करें,
जब याद तुम्हारी सताए
तो, रम्भा ने दो टूक जवाब दिया
हम तो परायी ब्याहता है
जब हमारी याद का तुम्हे हक़ नही
तो, याद क्यों करते हो
इश्लीए याद आये तो गंगा जी का नाम लेकर
डुबकी लिया करो,
मन्नू , तभी से हर हर रम्भे कर
डुबकी लगते है , अलष-भोर
मृदुभासणी
बनरस की बयार
रम्भा को उसके प्रिय मन्नू ने आजिज आकर लिखा
प्रियतमा
तुम्हारे बिना जिन क्लेश जैसा है
तुम बिन, अपना देश प्रदेश जैसा है
बताओ, क्या करें,
जब याद तुम्हारी सताए
तो, रम्भा ने दो टूक जवाब दिया
हम तो परायी ब्याहता है
जब हमारी याद का तुम्हे हक़ नही
तो, याद क्यों करते हो
इश्लीए याद आये तो गंगा जी का नाम लेकर
डुबकी लिया करो,
मन्नू , तभी से हर हर रम्भे कर
डुबकी लगते है , अलष-भोर
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