Thursday 6 November 2014

मृगलोचनी
मृदुभासणी 
बनरस की बयार 
रम्भा को उसके प्रिय मन्नू ने आजिज आकर लिखा 
प्रियतमा 
तुम्हारे बिना जिन क्लेश जैसा है 
तुम बिन, अपना देश प्रदेश जैसा है 
बताओ, क्या करें, 
जब याद तुम्हारी सताए 
तो, रम्भा ने दो टूक जवाब दिया 
हम तो परायी ब्याहता है 
जब हमारी याद का तुम्हे हक़ नही 
तो, याद क्यों करते हो 
इश्लीए याद आये तो गंगा जी का नाम लेकर 
डुबकी लिया करो, 
मन्नू , तभी से हर हर रम्भे कर 
डुबकी लगते है , अलष-भोर 

No comments:

Post a Comment