अपनी
अपनी किताब के इंतजार में हूँ
किसी काम में मन नही लगता
रत को
रात में नींद खुलती है
तो, किताब आती है
ते किताबें बहुत सताती है
आप कभी
किताब के चक्कर में मत होना
वरना, बहुत तन्हा हो जायेंगे
कोई, साथ नही देता
हमे अकेले ही अपनी समस्या झेलनी होती है
प्रकाशक को इससे मतलब नही की
हम लेखक कितना जुड़े होते है
अपनी आने वाली किताब से
अपनी किताब के इंतजार में हूँ
किसी काम में मन नही लगता
रत को
रात में नींद खुलती है
तो, किताब आती है
ते किताबें बहुत सताती है
आप कभी
किताब के चक्कर में मत होना
वरना, बहुत तन्हा हो जायेंगे
कोई, साथ नही देता
हमे अकेले ही अपनी समस्या झेलनी होती है
प्रकाशक को इससे मतलब नही की
हम लेखक कितना जुड़े होते है
अपनी आने वाली किताब से
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