Thursday 24 March 2016

मन्नू ने मनभावन रम्भा की याद में पस्त होकर लिखा 
प्यारी रम्भा 
जग से न्यारी रम्भा 
सबसे खूबसूरत लगे 
तेरी ादए प्यारी प्यारी रम्भा 
तो 
आराधना सिंह ने कहा 
मन्नू भैया 
काहे ,
कविता का उखाड़ रहे हो खम्बा 
बबुआ , काहे , परेशां हो 
जब नहीं आती कविता करनी 
तो, काहे हाथ आजमाते हो 
मन्नू ने लिखा 
वो, न्यारी न्यारी 
प्यारी प्यारी रम्भा 
तुम ये अंगड़ाई लेती हो, जब जोर जोर से। .... 
आगे से समझ लो 
आराधना ने कहा 
एक हाथ भी पढ़ गया तो 
नज़र न आओगे 
जब कविता नहीं आ रही तो काहे 
बना रहे हो, जबरन 
मन्नू मन मसोस क्र बोले 
अंगड़ाई ले ले क्र सबको बहला देती हो 
सच तुम्हारा जवाब नहीं स्वीटहार्ट 
उ र लुकिंग , ोवरस्मार्ट 
रम्भा ने इतना ही कहा 
मन्नू मत लो,
हमसे पंगा , सच 

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