भी जब गौओं भी
जब भी गौओं को जख्मी देखती हूँ
दिल तेदेपा उठता है
नही मिलता जो मेरी इस तड़प को जाने
मई अकेले ही लिखती हूँ
पर कोई साथ नही मिलता
ऐसा लगता है
सब मुझे सनकी समझते होंगे
मई कुछ हद तक अपने मिशन के लिए जूनून से भरी हूँ
हमेशा अकेले ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखती हूँ
किसी को नही बताती
इसमें मेरा पैसा लगता है
अपना वक़्त २० बरसों से हुआ
इन्ही कर रही हूँ
पर प्रतिसाद नही मिलता
मेरे आसपास वाले नही जान सकते कि
मई कितना pmji को को भेजती हूँ
हाँ, मोदी जी जी के समय से पत्र मिल मिल रहे है
ये मेरा पागलपन कबतक चलेगा चलेगा , पता नही
किसी ngo से से जुड़ना चाहती हूँ
गौओं के के लिए चिकित्सा हो , ये मेरा सपना है
जब भी गौओं को जख्मी देखती हूँ
दिल तेदेपा उठता है
नही मिलता जो मेरी इस तड़प को जाने
मई अकेले ही लिखती हूँ
पर कोई साथ नही मिलता
ऐसा लगता है
सब मुझे सनकी समझते होंगे
मई कुछ हद तक अपने मिशन के लिए जूनून से भरी हूँ
हमेशा अकेले ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखती हूँ
किसी को नही बताती
इसमें मेरा पैसा लगता है
अपना वक़्त २० बरसों से हुआ
इन्ही कर रही हूँ
पर प्रतिसाद नही मिलता
मेरे आसपास वाले नही जान सकते कि
मई कितना pmji को को भेजती हूँ
हाँ, मोदी जी जी के समय से पत्र मिल मिल रहे है
ये मेरा पागलपन कबतक चलेगा चलेगा , पता नही
किसी ngo से से जुड़ना चाहती हूँ
गौओं के के लिए चिकित्सा हो , ये मेरा सपना है
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