Wednesday 2 March 2016

 भी जब गौओं भी
जब भी गौओं को जख्मी देखती हूँ
दिल तेदेपा उठता है
नही मिलता जो मेरी इस तड़प को जाने
मई अकेले ही लिखती हूँ
पर कोई साथ नही मिलता
ऐसा लगता है
सब  मुझे सनकी समझते होंगे
मई कुछ हद तक अपने मिशन के लिए जूनून से भरी हूँ
हमेशा अकेले ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखती हूँ
किसी को नही बताती
 इसमें मेरा पैसा लगता है
अपना वक़्त २० बरसों से  हुआ
इन्ही कर रही हूँ
पर  प्रतिसाद नही मिलता
मेरे आसपास वाले नही जान सकते कि
मई कितना pmji को को  भेजती   हूँ
 हाँ,  मोदी जी जी के समय से पत्र मिल मिल रहे है
ये  मेरा पागलपन  कबतक चलेगा चलेगा , पता नही
 किसी ngo से से जुड़ना चाहती हूँ
गौओं के  के लिए चिकित्सा हो , ये  मेरा सपना है 

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