लिखने से मुझे रिलैक्स लगता है
ये सच कि नही मिलता
कभी ही डेल्ही प्रेस से एकाध लेख स्वीकृत हो तब मिलता है
वो, नमक बराबर भी नही होता
पर मई लिखती क्यूंकि , ये मुझे सुकून व् धीरज देता है
एक सहस व् धैर्य से भर जाती हूँ जब लिखती हूँ कई
बार निराश होती हूँ , हूँ
ये सच कि नही मिलता
कभी ही डेल्ही प्रेस से एकाध लेख स्वीकृत हो तब मिलता है
वो, नमक बराबर भी नही होता
पर मई लिखती क्यूंकि , ये मुझे सुकून व् धीरज देता है
एक सहस व् धैर्य से भर जाती हूँ जब लिखती हूँ कई
बार निराश होती हूँ , हूँ
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