Wednesday, 2 March 2016

likhne se

लिखने से मुझे  रिलैक्स लगता है
ये सच  कि  नही मिलता
कभी ही डेल्ही प्रेस से एकाध लेख स्वीकृत हो तब मिलता है
वो,  नमक बराबर भी नही होता
पर मई लिखती  क्यूंकि , ये मुझे सुकून व् धीरज देता है
एक सहस व् धैर्य से भर  जाती हूँ जब लिखती हूँ कई
बार निराश होती हूँ ,   हूँ
  

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