Thursday, 31 July 2014

डॉ अनत का एक दोहा 

नई नवेली तुम, रही , यौवन था सोन्माद 
कालिदास की यक्षिणी , आ जाती थी, याद 

bnaras ki byar: राखियों का मौसम है नई नई ससुराल गयी लड़कियां बड़ी ...

bnaras ki byar: राखियों का मौसम है 
नई नई ससुराल गयी लड़कियां 
बड़ी ...
: राखियों का मौसम है  नई नई ससुराल गयी लड़कियां  बड़ी उमंगों से  हुलसती हुई मायके लौटती है  वो, सब अपने खोये बचपन व् स्कूली दिनों को  याद ...
राखियों का मौसम है 
नई नई ससुराल गयी लड़कियां 
बड़ी उमंगों से 
हुलसती हुई मायके लौटती है 
वो, सब अपने खोये बचपन व् स्कूली दिनों को 
याद करती है 
कितनी जल्दी समय गुजरता है 
स्कूल की बातें बार बार याद आती है 
और कालेज की शरारतें भी तो याद आती है 
सड़कों के किनारे खड़े होकर 
चाट खाना और जायके के चटखारे लेना 
सहेलियों संग किताबें लेने जाना 
और सब मिलकर होमवर्क करना 
ये सब अतीत हो जाता है 
पीहर लौटने पर 
वे सहेलियां मिल जाये तो 
चेहरे खिल जाते है 
फिर आँगन व् ओसारे में बैठकर 
दुनिया जहां की बातें होती है 
कई बार ससुराल की कोई कटु बात से 
दिल उदाश हो जाता है तो, कभी 
पीटीआई के प्रेम की बातें यादकर 
मुखड़ा लाज से गुलनार भी हो जाता है 
सभी नई बहु-बेटियों को उनके नए नवेले जीवन की 
हार्दिक शुभ कामनाएं 
आज जो है 
कल, वो यादों में सिमट जायेगा 
इश्लीए आज की जिंदगी में 
खुशियों को सहेज लीजिये 
मनको, ऐसी किसी भी बात से कभी भी 
दुखी मत कीजिये 
जो, कोई दाह या क्लेश से 
आपके दिल को दुखता हो 
हमेशा उन्ही बातों को साथ लेकर चलिए 
जो, आपको खुश रखे उदाशि से कुछ हासिल नही होता आपके नवागत 
बच्चे को भी आपकी ख़ुशी व् स्नेह चाहिए 

Tuesday, 29 July 2014

bnaras ki byar: मुझसे खा कहा जाता है की मई सब भूल जाऊं की उन्हों...

bnaras ki byar: मुझसे खा कहा जाता है की 
मई सब भूल जाऊं 
की उन्हों...
: मुझसे खा कहा जाता है की  मई सब भूल जाऊं  की उन्होंने अपनी बहु को मारकर  जला दिया था  ये सब भूल जाना है  पूरा समझ सुप्त है  गरीबों की ...
मुझसे खा कहा जाता है की 
मई सब भूल जाऊं 
की उन्होंने अपनी बहु को मारकर 
जला दिया था 
ये सब भूल जाना है 
पूरा समझ सुप्त है 
गरीबों की बेटी को लोग कैसे जलाकर मार देते है 
और मामला रफादफा हो जाता है 
पुलिस कुछ नही करती 

Saturday, 26 July 2014

बनारस की बयार 
ये मेरा ब्लॉग है इसमें 
९०० से ज्यादा पोस्ट लिखी जा चुकी है 
ये ५००० टाइम्स पढ़ा जा चूका है 
ये पाठकों का प्यार है 
मई बता दूँ, की 
मई कभी बनारस नही गयी 
सिर्फ कल्पना से ही 
ये खाका खिंचा है 
उन यादों को सींचा है 
जो , मन के किसी कोने में दबी रही है 
हमेशा इन्ही लगता रहा की मेरा बनारस से पिछले जन्म का 
रिस्ता है 
मई बहुत लकी हूँ की 
बनारस से ज्यादातर 
मेरे फेसबुक फ्रेंड है 
ये क्या अच्छा नही 
की दिल बहलाने को 
ग़ालिब ये ख्याल। … अच्छा है मुझे अफ़सोस है की मेरे 
ज्यादातर घनिष्ठ परिचित अब फेसबुक पर मेरे साथ नही है 
ओके, वक्त की पाबन्दी है 
वरना कितना लिखती और 

gam ki andheri raat mein..mohd rafi and talat mehmood

बनारस की बयार को आप सबकी तरफ से हम चिट्ठी लिख रहे है 
देखे पत्र में क्या लिखा जा सकता है 

बनारस की बयार 
नही , प्रिया बनारस की बयार 
कैसी हो 
क्या चल रहा है 
जीवन में सब कुशल-क्षेम है, न आप अपने घर को सजाने संवारने में 
सबके स्वागत-सत्कार में कितनी मग्न हो जाती हो 
की, आपको , अपना होश नही रहता 
बनारस की बयार 
ये जिंदगी है 
इसे सँभालने में आपका लाडला  
आपके साथ है 
 जैसी भी 
हो जन्हा  

Wednesday, 23 July 2014

bnaras ki byar: लिखने को ज्यादा नही है विश्वनाथ जी की कृपा से रम...

bnaras ki byar: लिखने को ज्यादा नही है 
विश्वनाथ जी की कृपा से 
रम...
: लिखने को ज्यादा नही है  विश्वनाथ जी की कृपा से  रम्भा अपने संसार में मगन है  इससे ज्यादा और क्या चाहिए  की लड़कियां अपनी ग्रस्ति  व् दु...
लिखने को ज्यादा नही है 
विश्वनाथ जी की कृपा से 
रम्भा अपने संसार में मगन है 
इससे ज्यादा और क्या चाहिए 
की लड़कियां अपनी ग्रस्ति 
व् दुनिया बसाये 
अपने मन से जैसे चाहे जी सके 
उन्हें अपने तरीके से जीने का हक़ है 
ये समझ लड़कियों को न सताए 
चाहे शादी हो 
चाहे वे अपने करियर में मग्न रहे उन्हें जीने दो 
प्यार के नाम पर भी 
लड़कियों को मत सताओ 
कुछ लोग प्यार के नाम पर 
शादीशुदा जिंदगी को बिगड़ते है 
मन्नू ने कभी नही चाहा की 
रम्भा को डिस्टर्ब हो 
उसने रम्भा की जिंदगी 
व् नई बसी जिंदगी व् दुनिया के लिए 
प्रभु से प्रार्थना ही की 
इन्ही प्रेम है 
की जिसे चाहते हो उन्हें 
निर्विध्न जीने दो 
ईश्वर को याद कीजिये 
ये जिंदगी बहुत मुश्किल भी हो जाती है 
जन्हा तक हो सके दूसरों के 
जीवन के लिए 
प्रेयर करें 
अपना भी भला होगा 

Tuesday, 15 July 2014

मन्नू ने तब कविता लिखी 
बीते दिन न लौटेंगे 
उन्हें याद   मत करना दिल अब 

Monday, 14 July 2014

आखिर में मन्नू ने वो सस्ती सी चुनर गंगा जी में बहा दी 
जिसे सोचा था, की वो, अपनी रम्भा को देगा 
फिर उसका हाथ पकड़कर फेरे लेगा, ये सब सच्चाई  से दूर था 
हक़ीक़त में मन्नू की औकात नही थी, की वो अपने डम्पर  दाम  डैम डीएम 
डम्पर डैम बलबूते पर अपनी परंपियरी को एक वक़्त का पेटभर खिलता 
तब रम्भा व् उसके बीच धन की खाई थी 
वो, कंही से भी अपनी परंपियरी प्राणपियरी का पूरा नही कर सकता 
था  चुनरी  गंगा मैया को चढ़ा कर  घ्रस्थि ग्रस्त घरसंसार की दुआ की 
तभी वंहा रंजू दीपदान करने रंजू आई 
  उसकी आँखे   बहनों का  
रंजू ने उसे समझाया , मन्नू डा, आप अपने स्टार की लड़की स्तर से विवाह कर लो 
 जानते की  
  लगी 
की आखिर आप रम्भा को क्या  हो ,कुछ भी नही 
खली याद  कीजिये 
ये लीजिये हमारी शादी की पत्रिका 
 को हमेशा   होता है, ये जिंदगी  
 जिंदगी  

bnaras ki byar: आखिर ससुराल जाने के पहले रम्भा ने एक बार मन्नू को ...

bnaras ki byar: आखिर ससुराल जाने के पहले रम्भा ने एक बार मन्नू को ...: आखिर ससुराल जाने के पहले रम्भा ने एक बार मन्नू को घर के पीछे के बाग़ में बुलाई  वंही तो दोनों बचपन में साथ में खेल करते था  मन्नू ने नज़रे ...
आखिर ससुराल जाने के पहले रम्भा ने एक बार मन्नू को घर के पीछे के बाग़ में बुलाई 
वंही तो दोनों बचपन में साथ में खेल करते था 
मन्नू ने नज़रे निचे किये पूछा , क्यों बुलाई हो। । रम्भा ने बताई , वो जा रही है 
रम्भा--हम आज निकल रही है , आपसे एक विनती है, आप घर बसा लो 
मन्नू--उसके लायक जुगाड़ होगा तो, नहीं करेंगे क्या। ज़ रही हो, कब लौटोगी 
तभी रंजू आ गयी ---बोली, दी, आपको सब वंहा ढूढ रहे, निकलो ,
मन्नू से बोली--ससुराल जाती लड़कियां लौटने के खातिर नही जाती, अब वो बचवा के होने पर आएगी, …क्य करोगे 
वो, वक़्त चले गया। …ज्ब साथ था, अब दुरी है, क्या करोगे, दी, को याद रख्के… क्या दे सकते हो, उसे 
जो, इतना भावुक होक पूछ रहे हो। 
रम्भा एक साँस में काः गयी, फिर बोलि।मै दी को बिदकर शाम मिलती। .वओ जीजू की कार से जा रही है, उसके बहुत ठाट है, आप उसे क्या दे सकते थे , उसके सूट देखे , कितने है 
मन्नू  लौटा ,  झोपडी में में   निकला , निकाला  
मन्नू  हो, गंगा के किनारे    

bnaras ki byar: रम्भा आंसू बहते हुए घर पहुंची और रंजू से मिन्नत क...

bnaras ki byar: रम्भा आंसू बहते हुए घर पहुंची 
और रंजू से मिन्नत क...
: रम्भा आंसू बहते हुए घर पहुंची  और रंजू से मिन्नत की की वो , मन्नू से शादी कर ले  इसपर दोनों में खूब बहस तकरार हुई  रंजू ने अपनी दी पर  ...
रम्भा आंसू बहते हुए घर पहुंची 
और रंजू से मिन्नत की की वो , मन्नू से शादी कर ले 
इसपर दोनों में खूब बहस तकरार हुई 
रंजू ने अपनी दी पर 
 मन्नू के पास जाने की बात मन ली 
रम्भा तो शादी के बाद उधर जाती भी नही थी 
और मन में सोचती की 
इसबार यंहा मन्नू के  लगे रंजू जब  पहुंची तो मन्नू ने पूजा पथ पूरी की और रंजू के प्रणाम 
पर मुस्करा कर बोले 
चुलबुली , आओ, कैसे पहुंची रंजू बोली, क्या कर रहे आप 
मन्नू ने बताया 
वो, अपनी माँ की जगह खुद सबकी रसोई जाकर बना रहे माँ से कास्ट नही देखा जा रहा 
रंजू ने पूछा, आप  लीजिये मन्नू बोले, मुझसे कौन करेगी, उसके खर्च भी होंगे रंजू ने रम्भा की बात नही बताई 
रंजू ने मन्नू को चिढ़ाने कहा ,
रम्भा दी , बहुत मजे में है, 
जीजू उन्हें पलकों पर रखते है 
खूब चाहते है 
मन्नू ने पूछा शादी के  क्या करती है 
रंजू ने बताया, वो हनीमून जाती है 
मन्नू ने जानना चाहा, ये क्या चाँद पर जाते है 
रंजू ने बताई , मुझे क्या पता ,मेरी शादी थोड़े हुई है 
मन्नू ने पूछा, कहा गई थी, रम्भा रंजू बोली, गोवा 
मन्नू बोला, वंहा क्या 
 रंजू बोली, होटल लेते है 
मन्नू निराश हुआ, बोला, पैसे की बर्बादी क्यों करते है, एक रूम लेते 
रंजू ने बताया, वंही तो 
मन्नू बोला, सिर्फ एक बीएड , 
रंजू ने आँखे तरेरी 
मन्नू बोला, उनकी कोई तस्वीर दिखाओ 
रंजू ने मन्नू को जलाने रम्भा की उसके पीटीआई के संग बहुत रोमेंटिक तस्वीर दिखा दी 
मन्नू बोला, ये तो सुहागरात की है, कौन लेता है ये तस्वीर 
रंजू ने बताई, वो अर्चना सिंह है, न 
मन्नू ने सर ठोका , बोला, ये  सुधरेगी 
फिर रंजू को भूख लगी , 
और मन्नू उसे अपने हाथ की बनी मीठे खिलने लगे बातें इन्ही रुक गयी 

jhoole mein pawan ke aayi bahar (((Jhankar))),Baiju Baawra(1952)Rafi-Lat...

Saturday, 12 July 2014

जबसे रम्भा की शादी हुई 
मन्नू सन्याशी हो गए 
रोज लोटा भर जल लेकर गंगा में चढ़ाते 
और कहते 
गंगा जी आप रम्भा जी का ख्याल रखे 
एक दिन उसी रस्ते से रम्भा भी दीपदान करने पहुंची 
मन्नू जी लोटे में जल लिए सर निचा किये जा रहे 
रम्भा ने बहुत चाहा की वो देखे 
सर उठाये 
पर मन्नू अपने में मग्न थे 
रम्भा को बहुत चिढ आई 
अरे सामने हूँ 
नज़र उठाके तो देख लो 
जाने कब मिले न मिले 
मन्नू बोले, प्राण-प्यारी 
देख तो लू 
पर तुझे मेरी इतने दिन की नज़र लग गयी तो 
या तेरा रूप देख मुझे मोह आ गया तो 
जा, जल्दी दूर जा 
पहले से विरक्त मन को और मत शता 
सच रम्भा की आँखों से आंसू बहने लगे 
पर फिरसे इश्क न हो जाये 
इश्लीए मन्नू ने नज़र उठाके नही देखा 
पता था जब दूर ही रहना है 
तो, क्यों देखे 
और विरक्त हुए मनको क्यों झुलसाए 

Friday, 11 July 2014

Mann Ki Aankhein - Chala Bhi Aa - Mohd Rafi & Lata Mangeshkar

 जी हाँ 
जी हाँ 
दीवानगी भी 
आपको जिन्दा रखती है 
जूनून आपको जिलाये रखता है 
इसे दिल से लगाये रखिये 

बहुत मुश्किल दौर लगता है 
किन्तु मुझे शिव पर पूरा यकीं है 
की, वो जरूर मेरे बेटे की मदद करेंगे 

bnaras ki byar: बनारस की बयार कैसी है, आप सरकार कैसे मिजाज है ,...

bnaras ki byar: बनारस की बयार 
कैसी है, आप 
सरकार 
कैसे मिजाज है ,...
: बनारस की बयार  कैसी है, आप  सरकार  कैसे मिजाज है , आपके
बनारस की बयार 
कैसी है, आप 
सरकार 
कैसे मिजाज है ,
आपके 

Thursday, 10 July 2014

क्या है
सरोकार
सरकार आपका
बनारस की बयार
क्या यूँ ही  जाएगी 

bnaras ki byar: तुमतुम गली के छोर पपर उस मोड़पर जन्हा से गंगा के...

bnaras ki byar: तुम
तुम गली के छोर पपर 
उस मोड़पर 
जन्हा से गंगा के...
: तुम तुम गली के छोर पपर  उस मोड़पर  जन्हा से गंगा के किनारे रेलिंग है  जाने कबतक कड़ी हो  सहेलियों संग बतियाती  बीच में कुछ मुस्काती  औ...
apne blog ko firse dekh rahi hu