जीने
जीने की आस में
रोज मरते है ,हम
जिस दिन चैन से जिएंगे
कंही , डीएम ही न निकल जाये
कोई साथ न दे
फिर भी ये दर्द तो साथ देता है
ये दर्द न ,होगा
क्या जिंदगी होगी
मोहब्बत ,
कोई, पानी पर लिखी लकीर नही
जो, लहरों के साथ जाये ,
ये तो, दिल के खून से लिखी
इबारत है,
जो, जिंदगी के बाद भी
नही मिटती
ये स्लिखि, ये कविता
जीने की आस में
रोज मरते है ,हम
जिस दिन चैन से जिएंगे
कंही , डीएम ही न निकल जाये
कोई साथ न दे
फिर भी ये दर्द तो साथ देता है
ये दर्द न ,होगा
क्या जिंदगी होगी
मोहब्बत ,
कोई, पानी पर लिखी लकीर नही
जो, लहरों के साथ जाये ,
ये तो, दिल के खून से लिखी
इबारत है,
जो, जिंदगी के बाद भी
नही मिटती
ये स्लिखि, ये कविता
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