जब
जब
जब , मैंने पहले पहल बयार को देखि तो
देखते रह गयी
वो, वैसी ही लगती थी,
जैसे मेरी नावेल की नायिका
तबतो, मई उसे कुछ न कुछ हमेशा लिखती
जिस पर वो, जब भी कुछ कहती तो,
लिखती, अरे नही। ……
इन्ही, उसके बातें करने का अंदाज था वो, हमेशा बातें
अरे नही से शुरू करती थी
तब, मैंने एक दिन उसे लिखा
क्या हमेशा अरे नही कहती है ,
कभी तो हाँ कह
फिर कुछ दिन निकल गए
एक दिन मैंने उसकी प्यारी सी पिक्चर देख पूछा
क्या ये उसकी तस्वीर है
तो, वो बोली, हाँ
और उसकी एक हाँ ने
मेरी बोलती उस वक़्त तो
बंद कर दी थी
जब
जब , मैंने पहले पहल बयार को देखि तो
देखते रह गयी
वो, वैसी ही लगती थी,
जैसे मेरी नावेल की नायिका
तबतो, मई उसे कुछ न कुछ हमेशा लिखती
जिस पर वो, जब भी कुछ कहती तो,
लिखती, अरे नही। ……
इन्ही, उसके बातें करने का अंदाज था वो, हमेशा बातें
अरे नही से शुरू करती थी
तब, मैंने एक दिन उसे लिखा
क्या हमेशा अरे नही कहती है ,
कभी तो हाँ कह
फिर कुछ दिन निकल गए
एक दिन मैंने उसकी प्यारी सी पिक्चर देख पूछा
क्या ये उसकी तस्वीर है
तो, वो बोली, हाँ
और उसकी एक हाँ ने
मेरी बोलती उस वक़्त तो
बंद कर दी थी
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