mranalini
मृणालिनी
वो, कविता ही क्या
जो ,बनाकर लिखी जाए
यदि कोई किसी पर
कविता लिखना चाहे , तो
पहली शर्त है ,की
वो, उसे ध्यान से देखे
यदि, कविता नही बन रही है
इसका अर्थ है
लिखने वाले ने
अपना ध्यान ही नही लगाया
क्योंकि,
कविता , एकाग्रता से
स्वतः आ जाती है
आपके घने केशों को देख कर
आपको, ये प्यारा उपनाम दिया है
मृणालिनी
(बयार, ये जानकर तो प्रसन्न हो जाइए
की मृणालिनी पर कविता लिखते मुझे नही आई )
मृणालिनी पर काव्य-रचना उसका चित्र देखते ही आ गयी है
लिखू,ये आशु कविता है
मृणाल
तुम्हारी दो आँखें इतनी मस्त ह.....
sorry
मृणाल , आपकी दो, आँखे
इतनी मासूम है
कि जिन्हे देखकर
याद आ रही है
गंगा के आँचल पर
तैरती दो कश्तियाँ
जो, लहरों के साथ
बाह जाती है
फर्क बस इतना है कि
वो ,लहरों के साथ बह जाती है
और आपकी आँखे
देखने वालों को
अपने साथ भावनाओं में
बहाकर ले जाती है
(बयार , ये सच है की,
जो , कविता आप पर लिखी गयी है
वैसी ये कविता ही है , आप खुश हो जाइए )
जिंदगी कोई कविता नही है
ये बहुत बड़ी वास्तविकता है
जिसे जितनी जल्दी समझे
जिंदगी आसान होगी
इश्लीए
आज की पीढ़ी
कविता से ज्यादा
हक़ीक़त को मानती है
मुझे भी इन्ही समझ में आया
किन्तु, तब जब
जीवन कविता के चक्रव्यूह में लग गया
मैंने कभी किसी को काव्य के लिए
प्रेरित नही की
क्योंकि, जीवन की आपा -धापी में
कविता की कापी का भाव
रद्दी से ज्यादा नही
जब, जिंदगी में कुछ नही होता
तब, कविता होती है किन्तु, जब,
जिंदगी में सब कुछ होता है
तो, कविता बहुत दूर हो चुकी होती है
कभी कविता के मायने थे
ह्रदय के भाव और अदब
किन्तु, आज एक mms में
नई पीढ़ी सब कुछ जान जाती है
आज,कविता नही रही
इश्लीए , फ़िल्मी गीतों में भी
अटपटे बोल होते है
preeti ne, मेरी कविता के प्रयास को सराहा
इश्लीए , आप को धन्यवाद
कविता को , यंहा विराम देती हूँ
किन्तु, यदि कभी
अचानक , आप पर वाकई कोई
गीत या कविता बन गयी
तो, जरूर आपके पृष्ठ पर लिखूंगी
क्योंकि, मुझे सन्देश में भेजना नही आता
मृणालिनी
वो, कविता ही क्या
जो ,बनाकर लिखी जाए
यदि कोई किसी पर
कविता लिखना चाहे , तो
पहली शर्त है ,की
वो, उसे ध्यान से देखे
यदि, कविता नही बन रही है
इसका अर्थ है
लिखने वाले ने
अपना ध्यान ही नही लगाया
क्योंकि,
कविता , एकाग्रता से
स्वतः आ जाती है
आपके घने केशों को देख कर
आपको, ये प्यारा उपनाम दिया है
मृणालिनी
(बयार, ये जानकर तो प्रसन्न हो जाइए
की मृणालिनी पर कविता लिखते मुझे नही आई )
मृणालिनी पर काव्य-रचना उसका चित्र देखते ही आ गयी है
लिखू,ये आशु कविता है
मृणाल
तुम्हारी दो आँखें इतनी मस्त ह.....
sorry
मृणाल , आपकी दो, आँखे
इतनी मासूम है
कि जिन्हे देखकर
याद आ रही है
गंगा के आँचल पर
तैरती दो कश्तियाँ
जो, लहरों के साथ
बाह जाती है
फर्क बस इतना है कि
वो ,लहरों के साथ बह जाती है
और आपकी आँखे
देखने वालों को
अपने साथ भावनाओं में
बहाकर ले जाती है
(बयार , ये सच है की,
जो , कविता आप पर लिखी गयी है
वैसी ये कविता ही है , आप खुश हो जाइए )
जिंदगी कोई कविता नही है
ये बहुत बड़ी वास्तविकता है
जिसे जितनी जल्दी समझे
जिंदगी आसान होगी
इश्लीए
आज की पीढ़ी
कविता से ज्यादा
हक़ीक़त को मानती है
मुझे भी इन्ही समझ में आया
किन्तु, तब जब
जीवन कविता के चक्रव्यूह में लग गया
मैंने कभी किसी को काव्य के लिए
प्रेरित नही की
क्योंकि, जीवन की आपा -धापी में
कविता की कापी का भाव
रद्दी से ज्यादा नही
जब, जिंदगी में कुछ नही होता
तब, कविता होती है किन्तु, जब,
जिंदगी में सब कुछ होता है
तो, कविता बहुत दूर हो चुकी होती है
कभी कविता के मायने थे
ह्रदय के भाव और अदब
किन्तु, आज एक mms में
नई पीढ़ी सब कुछ जान जाती है
आज,कविता नही रही
इश्लीए , फ़िल्मी गीतों में भी
अटपटे बोल होते है
preeti ne, मेरी कविता के प्रयास को सराहा
इश्लीए , आप को धन्यवाद
कविता को , यंहा विराम देती हूँ
किन्तु, यदि कभी
अचानक , आप पर वाकई कोई
गीत या कविता बन गयी
तो, जरूर आपके पृष्ठ पर लिखूंगी
क्योंकि, मुझे सन्देश में भेजना नही आता
maine ye likhi, thi, ki byar ye utni pyari kavita to nhi h, jitni achchi aap pr likhi thi, kintu ynha kuchh aur hi h, kaun krta h, ye sab
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