Wednesday 10 December 2014

पारी
पृ 
परी 
मैंने परिमार्जित नही है 
ये लिखा था 
याद है, हमे 
ये आप हो आपकी शरारत है 
जो, हमेशा आपके पास लती है 
आप इतनी अच्छी हो की सच शब्द नही है 
आपको बयान करने के लिए 
तुम्हे बताऊँ , बयार 
मेरी , जो किताब आणि है 
विलम्ब होने से 
मई खुदको , 
तुम्हारा, doshi , दोषी समझती   हूँ 
क्योंकि, मेरा वादा झूठा हो गया है 
क्या करूँ 
बताईये तो ,
ऐसा करो, 
तुम दिए जलाओ,
सिद्धहस्त 
तुम, कहोगी, तो किताबें जरूर आ जाएगी 
ये भी बताओ, की वो, भेजूं कहा 
वंही, भोजपुरी अधयन केंद्र में 
तुम्हारी बहुत याद आती है तुम्हारी 
एक भी तस्वीर मेरे पास नही है 
मेरा मोबाइल चोरी हो गया था 

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