मन्नू ने लिखी , चिट्ठी
प्राण-प्यारी
तुम्हे देखकर
सच में सब भूल जाते है
कुछ याद नही रह जाता
मुझसे तो , अच्छा ये काजल है
जो, तेरी आँखों में लगा रहता है
उसके बाद रम्भा को बहुत गुस्सा आया
उसने चिठ्ठी के टुकड़े किये
और लिखा
आगे से मुझे बेवकूफ मत बनाना
मन्नू ने वो चिट्ठी के टुकड़े
रम्भा की चुनरी में बांध के कहा
दुप्पटे की गिरह से बांध लीजिये
रम्भा को ये बकवास
ये बकवास नही पसंद आई
और , वे बेचारी अपने काम से
rambha
रम्भा
रम्भा से रहा नही गया
उसने मन्नू से कहा
ये क्या ये कोई बात है , भला
आपने मेरी चुनरी में कागज के टुकड़े बंधे
ये कोई ठीक नही लगता
तब , मन्नू ने रम्भा की चुनर में
एपल बांध के पूछा
अब तो , सब कुछ ठीक है न
रम्भा ने पूछा ---ये क्या , मतलब
मन्नू ने बताया--मतलब, फलो -फूलो
रम्भा --सिर्फ फलो कहे ,
मन्नू ---वंही तो , वंही
mannu ने कहा -फलो -फूलो , इन्ही कहते है
इसका मतलब आप समझती है
ये ईश्वर से प्रेयर की जाती है
तब दो चुनरी और मन्नू के सामने आकर गिरी
मन्नू ने देखा सामने अर्चना और रंजू है , कड़ी
मन्नू ने पूछा --आपकी क्या मंशा है
दोनों बोली- हमारी चुनर में भी कुछ बांधिए
मन्नू ने तब जमीन से कंकड़ उठाये
दोनों बिफर गयी ---ओ , उसकी चुनर में फल , और हमे , कंकड़ -पत्थर
मन्नू ने बताया ----वे अप्सरा है, समझी
दोनों बिदक के गयी ---और तुम पसरा हो
मन्नू ने दोनों के लिए शुभ-कामनाये दी
प्राण-प्यारी
तुम्हे देखकर
सच में सब भूल जाते है
कुछ याद नही रह जाता
मुझसे तो , अच्छा ये काजल है
जो, तेरी आँखों में लगा रहता है
उसके बाद रम्भा को बहुत गुस्सा आया
उसने चिठ्ठी के टुकड़े किये
और लिखा
आगे से मुझे बेवकूफ मत बनाना
मन्नू ने वो चिट्ठी के टुकड़े
रम्भा की चुनरी में बांध के कहा
दुप्पटे की गिरह से बांध लीजिये
रम्भा को ये बकवास
ये बकवास नही पसंद आई
और , वे बेचारी अपने काम से
rambha
रम्भा
रम्भा से रहा नही गया
उसने मन्नू से कहा
ये क्या ये कोई बात है , भला
आपने मेरी चुनरी में कागज के टुकड़े बंधे
ये कोई ठीक नही लगता
तब , मन्नू ने रम्भा की चुनर में
एपल बांध के पूछा
अब तो , सब कुछ ठीक है न
रम्भा ने पूछा ---ये क्या , मतलब
मन्नू ने बताया--मतलब, फलो -फूलो
रम्भा --सिर्फ फलो कहे ,
मन्नू ---वंही तो , वंही
mannu ने कहा -फलो -फूलो , इन्ही कहते है
इसका मतलब आप समझती है
ये ईश्वर से प्रेयर की जाती है
तब दो चुनरी और मन्नू के सामने आकर गिरी
मन्नू ने देखा सामने अर्चना और रंजू है , कड़ी
मन्नू ने पूछा --आपकी क्या मंशा है
दोनों बोली- हमारी चुनर में भी कुछ बांधिए
मन्नू ने तब जमीन से कंकड़ उठाये
दोनों बिफर गयी ---ओ , उसकी चुनर में फल , और हमे , कंकड़ -पत्थर
मन्नू ने बताया ----वे अप्सरा है, समझी
दोनों बिदक के गयी ---और तुम पसरा हो
मन्नू ने दोनों के लिए शुभ-कामनाये दी
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